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Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-४ प्रतिक्रमण

Hindi 25 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] चउद्दसहिं भूयगामेहिं, पन्नरसहिं परमाहम्मिएहिं, सोलसहिं गाहासोलसएहिं, सत्तरसविहे असंजमे, अट्ठारसविहे अबंभे, एगूणवीसाए नायज्झयणेहिं, वीसाए असमाहिट्ठाणेहिं।

Translated Sutra: इहलोक – परलोक आदि सात भय स्थान के कारण से, जातिमद – कुलमद आदि आँठ मद का सेवन करने से, वसति – शुद्धि आदि ब्रह्मचर्य की नौ वाड़ का पालन न करने से, क्षमा आदि दशविध धर्म का पालन न करने से, श्रावक की ग्यारह प्रतिमा में अश्रद्धा करने से, बारह तरह की भिक्षु प्रतिमा धारण न करने से या उसके विषय में अश्रद्धा करने से, अर्थाय –
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-४ प्रतिक्रमण

Hindi 27 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] तेत्तीसाए आसायणाहिं।

Translated Sutra: तैंतीस प्रकार की आशातना जो यहाँ सूत्र में ही बताई गई है उसके द्वारा लगे अतिचार, अरहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय, साधु, साध्वी का अवर्णवाद से अबहुमान करने से, श्रावक – श्राविका की निंदा आदि से, देव – देवी के लिए कुछ भी बोलने से, आलोक – परलोक के लिए असत्‌ प्ररूपणा से, केवली प्रणित श्रुत या चारित्र धर्म की आशातना के द्वारा,
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-४ प्रतिक्रमण

Hindi 28 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] अरिहंताणं आसायणाए सिद्धाणं आसायणाए आयरियाणं आसायणाए उवज्झायाणं आसायणाए साहूणं आसायणाए साहुणीणं आसायणाए सावयाणं आसायणाए सावियाणं आसायणाए देवाणं आसायणाए देवीणं आसायणाए इहलोगस्स आसायणाए परलोगस्स आसायणाए केवलिपन्नत्तस्सधम्मस्स आसायणाए सदेवमणुयासुरस्सलोगस्स आसायणाए सव्वपाणभूयजीव-सत्ताणं आसायणाए कालस्स आसायणाए सुयस्स आसायणाए सुयदेवयाए आसायणाए वायणायरियस्स आसायणाए।

Translated Sutra: देखो सूत्र २७
Aavashyakasutra आवश्यक सूत्र Ardha-Magadhi

अध्ययन-४ प्रतिक्रमण

Hindi 29 Sutra Mool-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] जं वाइद्धं वच्चामेलियं हीणक्खरं अच्चक्खरं पयहीणं विणयहीणं घोसहीणं जोगहीणं सुट्ठुदिन्नं दुट्ठंपडिच्छियं अकाले कओसज्झाओ काले न कओ सज्झाओ असज्झाइए-सज्झाइयं सज्झाइए-न-सज्झाइयं तस्स मिच्छा मि दुक्कडं।

Translated Sutra: देखो सूत्र २७
Acharang आचारांग सूत्र Ardha-Magadhi

श्रुतस्कंध-१

अध्ययन-९ उपधान श्रुत

उद्देशक-१ चर्या Hindi 276 Gatha Ang-01 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] पुढविं च आउकायं, तेउकायं च वाउकायं च । पणगाइं बीय-हरियाइं, तसकायं च सव्वसो नच्चा ॥

Translated Sutra: पृथ्वीकाय, अप्काय, तेजस्काय, वायुकाय, निगोद – शैवाल आदि, बीज और नाना प्रकार की हरी वनस्पति एवं त्रसकाय – इन्हें सब प्रकार से जानकर। ‘ये अस्तित्ववान्‌ है’ यह देखकर ‘ये चेतनावान्‌ है’ यह जानकर उनके स्वरूप को भलीभाँति अवगत करके वे उनके आरम्भ का परित्याग करके विहार करते थे। सूत्र – २७६, २७७
Acharang आचारांग सूत्र Ardha-Magadhi

श्रुतस्कंध-१

अध्ययन-९ उपधान श्रुत

उद्देशक-१ चर्या Hindi 277 Gatha Ang-01 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] एयाइं संति पडिलेहे, चित्तमंताइं से अभिण्णाय । परिवज्जिया न विहरित्था, इति संखाए से महावीरे ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र २७६
Antkruddashang અંતકૃર્દ્દશાંગસૂત્ર Ardha-Magadhi

वर्ग-६ मकाई आदि

अध्ययन-१ थी १४

Gujarati 28 Sutra Ang-08 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नगरे गुणसिलए चेइए। सेणिए राया। कासवे नामं गाहावई परिवसइ। जहा मकाई। सोलस वासा परियाओ। विपुले सिद्धे।

Translated Sutra: સૂત્ર– ૨૮. તે કાળે તે સમયે રાજગૃહ નામે નગર હતું. ગુણશીલ ચૈત્ય હતું. શ્રેણિક રાજા હતો. કાશ્યપ નામે ગાથાપતિ હતો. મંકાતિ માફક બધું કહેવું. યાવત તેનો ૧૬ – વર્ષનો સંયમ પર્યાય હતો. તેઓ અંતકૃત કેવલી થઇ વિપુલ પર્વતે સિદ્ધ થયા. સૂત્ર– ૨૯. એ પ્રમાણે ક્ષેમક ગાથાપતિને પણ જાણવા. માત્ર નગરી કાકંદી, ૧૬ વર્ષનો સંયમ પર્યાય, વિપુલ
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 126 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं कालानुपुव्वी? कालानुपुव्वी दुविहा पन्नत्ता, तं जहा–ओवनिहिया य अनोवनिहिया य।

Translated Sutra: कालानुपूर्वी क्या है ? दो प्रकार हैं, औपनिधिकी और अनौपनिधिकी। इनमें से औपनिधिकी कालानुपूर्वी स्थाप्य है। तथा – अनौपनिधिकी कालानुपूर्वी दो प्रकार की है – नैगम – व्यवहारनयसंमत और संग्रहनयसम्मत। सूत्र – १२६, १२७
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 227 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] रूव-वय-वेस-भासाविवरीयविलंबणासमुप्पन्नो । हासो मनप्पहासो, पगासलिंगो रसो होइ ॥

Translated Sutra: रूप, वय, वेष और भाषा की विपरीतता से हास्यरस उत्पन्न होता है। हास्यरस मन को हर्षित करनेवाला है और प्रकाश – मुख, नेत्र आदि का विकसित होना, अट्टहास आदि उनके लक्षण हैं। प्रातः सोकर उठे, कालिमा से – काजल की रेखाओं से मंडित देवर के मुख को देखकर स्तनयुगल के भार से नमित मध्यभाग वाली कोई युवती ही – ही करती हँसती है। सूत्र
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 228 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] पासुत्त-मसीमंडिय-पडिबुद्धं देयरं पलोयंती । ही! जह थण-भर-कंपण-पणमियमज्झा हवइ सामा ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र २२७
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 243 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] २०. अभिई २१. सवण २२. घणिट्ठा, २३. सतभिसया २४.-२५. दो य होंति भद्दवया । २६. रेवति २७. अस्सिणि २८. भरणि, एसा नक्खत्तपरिवाडी ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र २४१
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 246 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] १५ मित्तो १६ इंदो १७ निरती, १८ आऊ १९ विस्सो य २० बंभ २१ विण्हू य । २२ वसु २३ वरुण २४ अय २५ विवद्धी, २६ पुस्से २७ आसे २८ जमे चेव ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र २४५
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 273 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं विभागनिप्फन्ने? विभागनिप्फन्ने–

Translated Sutra: विभागनिष्पन्न कालप्रमाण क्या है ? समय, आवलिका, मुहूर्त्त, दिवस, अहोरात्र, पक्ष, मास, संवत्सर, युग, पल्योपम, सागर, अवसर्पिणी(उत्सर्पिणी) और (पुद्‌गल)परावर्तन रूप काल को विभागनिष्पन्न कालप्रमाण कहते हैं सूत्र – २७३, २७४
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 274 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] समयावलिय-मुहुत्ता, दिवसमहोरत्त-पक्ख-मासा य । संवच्छर-जुग-पलिया, सागर-ओसप्पि-परियट्टा ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र २७३
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 276 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] हट्ठस्स अणवगल्लस, निरुवक्किट्ठस्स जंतुणो । एगे ऊसास-नीसासे, एस पाणु त्ति वुच्चइ ॥

Translated Sutra: हृष्ट, वृद्धावस्था से रहित, व्याधि से रहित मनुष्य आदि के एक उच्छ्‌वास और निःश्वास के ‘काल’ को प्राण कहते हैं। ऐसे सात प्राणों का एक स्तोक, सात स्तोकों का एक लव और लवों का एक मुहूर्त्त जानना। अथवा – सर्वज्ञ ३७७३ उच्छ्‌वास – निश्वासों का एक मुहूर्त्त कहा है। इस मुहूर्त्त प्रमाण से तीस मुहूर्त्तों का एक अहोरात्र
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 277 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सत्त पाणूणि से थोवे, सत्त थोवाणि से लवे । लवाणं सत्तहत्तरिए, एस मुहुत्ते वियाहिए ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र २७६
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 278 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] तिन्नि सहस्सा सत्त य, सयाइं तेहत्तरि च ऊसासा । एस मुहुत्तो भणियो, सव्वेहिं अनंतनाणीहिं ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र २७६
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 279 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] एएणं मुहुत्तपमाणेणं तीसं मुहुत्ता अहोरत्तं, पन्नरस अहोरत्ता पक्खो, दो पक्खा मासो, दो मासा उऊ, तिन्नि उऊ अयणं, दो अयणाइं संवच्छरे, पंच संवच्छराइं जुगे, वीसं जुगाइं वाससयं, दस वाससयाइं वाससहस्सं सयं वाससहस्साणं वाससयसहस्सं, चउरासीइं वाससयसहस्साइं से एगे पुव्वंगे, चउरासीइं पुव्वंगसयसहस्साइं से एगे पुव्वे, चउरासीइं पुव्वसयसहस्साइं से एगे तुडि-यंगे, चउरासीइं तुडियंगसयसहस्साइं से एगे तुडिए, चउरासीइं तुडियसयसहस्साइं से एगे अडडंगे, चउरासीइं अडडंगसयसहस्साइं से एगे अडडे, एवं अववंगे अववे, हुहुयंगे हुहुए, उप्पलंगे उप्पले, पउमंगे पउमे, नलिणंगे नलिणे, अत्थनिउरंगे अत्थनिउरे,

Translated Sutra: देखो सूत्र २७६
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 317 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] ४. असंतयं असंतएणं उवमिज्जइ–जहा खरविसाणं तहा ससविसाणं। से तं ओवम्मसंखा। से किं तं परिमाणसंखा? परिमाणसंखा दुविहा पन्नत्ता, तं जहा–कालियसुयपरिमाणसंखा दिट्ठिवायसुयपरिमाणसंखा य। से किं तं कालियसुयपरिमाणसंखा? कालियसुयपरिमाणसंखा अनेगविहा पन्नत्ता, तं जहा–पज्जवसंखा अक्खरसंखा संघायसंखा पयसंखा पायसंखा गाहासंखा सिलोगसंखा वेढसंखा निज्जुत्तिसंखा अनुओगदारसंखा उद्देसगसंखा अज्झयणसंखा सुयखंधसंखा अंगसंखा। से तं कालियसुयपरिमाणसंखा। से किं तं दिट्ठिवायसुयपरिमाणसंखा? दिट्ठिवायसुयपरिमाणसंखा अनेगविहा पन्नत्ता, तं जहा–पज्जवसंखा अक्खरसंखा संघायसंखा पयसंखा पायसंखा

Translated Sutra: अविद्यमान पदार्थ को अविद्यमान पदार्थ से उपमित करना असद्‌ – असद्‌रूप औपम्यसंख्या है। जैसा – खर विषाण है वैसा ही शश विषाण है और जैसा शशविषाण है वैसा ही खरविषाण है। परिमाणसंख्या क्या है ? दो प्रकार की है। जैसे – कालिकश्रुतपरिमाणसंख्या और दृष्टिवादश्रुतपरिमाण – संख्या। कालिक श्रुतपरिमाणसंख्या अनेक प्रकार
Anuyogdwar અનુયોગદ્વારાસૂત્ર Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Gujarati 126 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं कालानुपुव्वी? कालानुपुव्वी दुविहा पन्नत्ता, तं जहा–ओवनिहिया य अनोवनिहिया य।

Translated Sutra: સૂત્ર– ૧૨૬. કાલાનુપૂર્વીનું સ્વરૂપ કેવું છે ? કાલાનુપૂર્વીના બે પ્રકાર છે. તે આ પ્રમાણે છે, ૧. ઔપનિધિકી અને ૨. અનૌપનિધિકી. ઔપનિધિકી અને અનૌપનિધિકીમાંથી ઔપનિધિકી કાલાનુપૂર્વી સ્થાપ્ય છે અર્થાત્‌ અલ્પવક્તવ્ય હોવાથી તેનું વર્ણન પછી કરવામાં આવશે. સૂત્ર– ૧૨૭. તેમાં જે અનૌપનિધિકી કાલાનુપૂર્વી છે, તેના બે પ્રકાર
Anuyogdwar અનુયોગદ્વારાસૂત્ર Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Gujarati 227 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] रूव-वय-वेस-भासाविवरीयविलंबणासमुप्पन्नो । हासो मनप्पहासो, पगासलिंगो रसो होइ ॥

Translated Sutra: રૂપ, વય, વેષ અને ભાષાની વિપરીતતાથી હાસ્યરસ ઉત્પન્ન થાય છે. હાસ્યરસ મનને હર્ષિત કરે છે. મુખ, નેત્રનું વિકસિત થવું, અટ્ટહાસ્ય વગેરે તેના લક્ષણ છે. હાસ્યરસનું ઉદાહરણ – સૂઈને પ્રાતઃકાલે ઊઠેલા, કાલિમાથી – કાજળની રેખાઓથી મંડિત દિયરના મુખને જોઈને સ્તન યુગલના ભારથી, નમેલા મધ્યમ ભાગવાળી કોઈ યુવતી હી – હી કરતી હસે છે. સૂત્ર
Anuyogdwar અનુયોગદ્વારાસૂત્ર Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Gujarati 228 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] पासुत्त-मसीमंडिय-पडिबुद्धं देयरं पलोयंती । ही! जह थण-भर-कंपण-पणमियमज्झा हवइ सामा ॥

Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૨૨૭
Anuyogdwar અનુયોગદ્વારાસૂત્ર Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Gujarati 240 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं नक्खत्तनामे? नक्खत्तनामे–कत्तियाहिं जाए–कत्तिए कत्तियादिन्ने कत्तियाधम्मे कत्तियासम्मे कत्तियादेवे कत्तियादासे कत्तियासेणे कत्तियारक्खिए। रोहिणीहिं जाए–रोहिणिए रोहिणिदिन्ने रोहिणिधम्मे रोहिणिसम्मे रोहिणिदेवे रोहिणि-दासे रोहिणिसेणे रोहिणिरक्खिए। एवं सव्वनक्खत्तेसु नामा भाणियव्वा। एत्थ संगहणिगाहाओ–

Translated Sutra: નક્ષત્ર નામનું સ્વરૂપ કેવું છે ? નક્ષત્રના આધારે સ્થાપિત નામ નક્ષત્રનામ કહેવાય છે. તે આ પ્રમાણે, કૃતિકાનક્ષત્રમાં જન્મેલ બાળકનું કૃતિક – કાર્તિક, કૃતિકાદત્ત, કૃતિકાધર્મ, કૃતિકાદેવ, કૃતિકાદાસ, કૃતિકાસેન, કૃતિકા રક્ષિત વગેરે નામ રાખવા. રોહિણીમાં જન્મેલનું રોહિણેય, રોહિણીદત્ત, રોહિણીધર્મ, રોહિણીશર્મ, રોહિણીદેવ,
Anuyogdwar અનુયોગદ્વારાસૂત્ર Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Gujarati 243 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] २०. अभिई २१. सवण २२. घणिट्ठा, २३. सतभिसया २४.-२५. दो य होंति भद्दवया । २६. रेवति २७. अस्सिणि २८. भरणि, एसा नक्खत्तपरिवाडी ॥

Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૨૪૦
Anuyogdwar અનુયોગદ્વારાસૂત્ર Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Gujarati 244 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] –से तं नक्खत्तनामे। से किं तं देवयानामे? देवयनामे – अग्गिदेवयाहिं जाए– अग्गिए अग्गिदिन्ने अग्गिधम्मे अग्गि-सम्मे अग्गिदेवे अग्गिदासे अग्गिसेने अग्गिरक्खिए। एवं सव्वनक्खत्तदेवयानामा भाणियव्वा। एत्थं पि संगहणिगाहाओ–

Translated Sutra: દેવનામનું સ્વરૂપ કેવું છે ? નક્ષત્રના અધિષ્ઠાતા દેવના નામ ઉપરથી નામ સ્થાપવામાં આવે તો તે દેવનામ કહેવાય. જેમ કે કૃતિકા નક્ષત્રના અધિષ્ઠાતા દેવ અગ્નિ છે. અગ્નિ દેવથી અધિષ્ઠિત નક્ષત્રમાં જન્મેલ બાળકનું નામ આગ્નિક, અગ્નિદત્ત, અગ્નિધર્મ, અગ્નિશર્મ, અગ્નિદાસ, અગ્નિસેન, અગ્નિરક્ષિત વગેરે રાખવું. આ જ પ્રમાણે અન્ય
Anuyogdwar અનુયોગદ્વારાસૂત્ર Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Gujarati 246 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] १५ मित्तो १६ इंदो १७ निरती, १८ आऊ १९ विस्सो य २० बंभ २१ विण्हू य । २२ वसु २३ वरुण २४ अय २५ विवद्धी, २६ पुस्से २७ आसे २८ जमे चेव ॥

Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૨૪૪
Anuyogdwar અનુયોગદ્વારાસૂત્ર Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Gujarati 271 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं कालप्पमाणे? कालप्पमाणे दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–पएसनिप्फन्ने य विभागनिप्फन्ने य।

Translated Sutra: કાળપ્રમાણનું સ્વરૂપ કેવું છે ? કાળપ્રમાણના બે ભેદ છે, તે આ પ્રમાણે છે – ૧. પ્રદેશ નિષ્પન્ન અને ૨. વિભાગ નિષ્પન્ન. પ્રદેશનિષ્પન્ન કાળપ્રમાણનું સ્વરૂપ કેવું છે ? એક સમયની સ્થિતિવાળા, બે સમયની સ્થિતિવાળા, ત્રણ સમયની સ્થિતિવાળાથી લઈ દસ સમયની સ્થિતિવાળા, સંખ્યાત – અસંખ્યાત સમયની સ્થિતિવાળા પરમાણુ અથવા સ્કંધ. પ્રદેશ
Anuyogdwar અનુયોગદ્વારાસૂત્ર Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Gujarati 272 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं पएसनिप्फन्ने? पएसनिप्फन्ने–एगसमयट्ठिईए दुसमयट्ठिईए तिसमयट्ठिईए जाव दससमयट्ठिईए संखेज्जसमयट्ठिईए असंखेज्जसमयट्ठिईए। से तं पएसनिप्फन्ने।

Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૨૭૧
Anuyogdwar અનુયોગદ્વારાસૂત્ર Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Gujarati 273 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं विभागनिप्फन्ने? विभागनिप्फन्ने–

Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૨૭૧
Anuyogdwar અનુયોગદ્વારાસૂત્ર Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Gujarati 274 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] समयावलिय-मुहुत्ता, दिवसमहोरत्त-पक्ख-मासा य । संवच्छर-जुग-पलिया, सागर-ओसप्पि-परियट्टा ॥

Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૨૭૧
Anuyogdwar અનુયોગદ્વારાસૂત્ર Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Gujarati 276 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] हट्ठस्स अणवगल्लस, निरुवक्किट्ठस्स जंतुणो । एगे ऊसास-नीसासे, एस पाणु त्ति वुच्चइ ॥

Translated Sutra: ૩. હૃષ્ટ – પુષ્ટ મનુષ્યનો એક ઉચ્છ્‌વાસ – નિશ્વાસ તે પ્રાણ, ૭ પ્રાણ = ૧ સ્તોક ૪. ૭ સ્તોક = ૧ લવ, ૭૭ લવ = ૧ મુહૂર્ત્ત અથવા ૫. ૩૭૭૩ શ્વાસોચ્છ્‌વાસ = ૧ મુહૂર્ત્ત, ૩૦ મુહૂર્ત્ત = ૧ અહોરાત્ર ૬. ૧૫ અહોરાત્ર = ૧ પક્ષ, ૨ પક્ષ = ‌૧ માસ ૭. ૨ માસ = ૧ ઋતુ, ૩ ઋતુ = ૧ અયન ૮. ૨ અયન = ૧ સંવત્સર વર્ષ., ૫ સંવત્સર = ૧ યુગ ૯. ૨૦ યુગ = ૧૦૦ વર્ષ, ૧૦ સો વર્ષ = ૧૦૦૦
Anuyogdwar અનુયોગદ્વારાસૂત્ર Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Gujarati 277 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] सत्त पाणूणि से थोवे, सत्त थोवाणि से लवे । लवाणं सत्तहत्तरिए, एस मुहुत्ते वियाहिए ॥

Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૨૭૬
Anuyogdwar અનુયોગદ્વારાસૂત્ર Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Gujarati 278 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] तिन्नि सहस्सा सत्त य, सयाइं तेहत्तरि च ऊसासा । एस मुहुत्तो भणियो, सव्वेहिं अनंतनाणीहिं ॥

Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૨૭૬
Anuyogdwar અનુયોગદ્વારાસૂત્ર Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Gujarati 279 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] एएणं मुहुत्तपमाणेणं तीसं मुहुत्ता अहोरत्तं, पन्नरस अहोरत्ता पक्खो, दो पक्खा मासो, दो मासा उऊ, तिन्नि उऊ अयणं, दो अयणाइं संवच्छरे, पंच संवच्छराइं जुगे, वीसं जुगाइं वाससयं, दस वाससयाइं वाससहस्सं सयं वाससहस्साणं वाससयसहस्सं, चउरासीइं वाससयसहस्साइं से एगे पुव्वंगे, चउरासीइं पुव्वंगसयसहस्साइं से एगे पुव्वे, चउरासीइं पुव्वसयसहस्साइं से एगे तुडि-यंगे, चउरासीइं तुडियंगसयसहस्साइं से एगे तुडिए, चउरासीइं तुडियसयसहस्साइं से एगे अडडंगे, चउरासीइं अडडंगसयसहस्साइं से एगे अडडे, एवं अववंगे अववे, हुहुयंगे हुहुए, उप्पलंगे उप्पले, पउमंगे पउमे, नलिणंगे नलिणे, अत्थनिउरंगे अत्थनिउरे,

Translated Sutra: જુઓ સૂત્ર ૨૭૬
Anuyogdwar અનુયોગદ્વારાસૂત્ર Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Gujarati 292 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] मणुस्साणं भंते! केवइअं कालं ठिती पन्नत्ता? गोयमा जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिन्नि पलिओवमाइं जाव अजहन्नमणुक्कोसं तेत्तीसं सागरोवमाइं से तं सुहुमे अद्धापलिओवमे से तं अद्धा पलिओवमे।

Translated Sutra: [૧] હે ભગવન્‌ ! મનુષ્યોની આયુસ્થિતિ કેટલી છે ? હે ગૌતમ ! જઘન્ય અંતર્મુહૂર્ત્ત, ઉત્કૃષ્ટ ત્રણ પલ્યોપમની છે. સંમૂર્ચ્છિમ મનુષ્યની જઘન્ય અંતર્મુહૂર્ત્ત અને ઉત્કૃષ્ટ પણ અંતર્મુહૂર્ત્તની છે. ગર્ભજ મનુષ્યોની સ્થિતિ જઘન્ય અંતર્મુહૂર્ત્ત અને ઉત્કૃષ્ટ ત્રણ પલ્યોપમની છે. અપર્યાપ્ત ગર્ભજ મનુષ્યની જઘન્ય – ઉત્કૃષ્ટ
Anuyogdwar અનુયોગદ્વારાસૂત્ર Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Gujarati 322 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं समोयारे? समोयारे छव्विहे पन्नत्ते, तं जहा–१. नामसमोयारे २. ठवणसमोयारे ३. दव्वसमोयारे ४. खेत्तसमोयारे ५. कालसमोयारे ६. भावसमोयारे। नामट्ठवणाओ गयाओ जाव। से तं भवियसरीरदव्वसमोयारे। से किं तं जाणगसरीर-भवियसरीर-वतिरित्ते दव्वसमोयारे? जाणगसरीर-भवियसरीर-वतिरित्ते दव्वसमोयारे तिविहे पन्नत्ते, तं जहा–आयसमोयारे परसमोयारे तदुभयसमोयारे। सव्वदव्वा वि णं आयसमोयारेणं आयभावे समोयरंति, परसमोयारेणं जहा कुंडे वदराणि, तदुभयसमोयरेणं जहा घरे थंभो आयभावे य, जहा घडे गीवा आयभावे य। अहवा जाणगसरीर-भवियसरीर-वतिरित्ते दव्वसमोयारे दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–आयसमोयारे य

Translated Sutra: સૂત્ર– ૩૨૨. [૧] સમવતારનું સ્વરૂપ કેવું છે ? સમવતારના છ પ્રકાર છે. તે આ પ્રમાણે છે – ૧. નામ, ૨. સ્થાપના, ૩. દ્રવ્ય, ૪. ક્ષેત્ર, ૫. કાળ અને ૬. ભાવ. [૨] નામ સમવતારનું સ્વરૂપ કેવું છે ? નામ સમવતાર અને સ્થાપના સમવતારનું સ્વરૂપ વર્ણન પૂર્વવત્‌ અર્થાત્‌ આવશ્યકના વર્ણન પ્રમાણે જાણવુ. દ્રવ્ય સમવતારનું સ્વરૂપ કેવું છે ? દ્રવ્ય
Aturpratyakhyan आतुर प्रत्याख्यान Ardha-Magadhi

प्रतिक्रमणादि आलोचना

Hindi 11 Sutra Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] इच्छामि भंते! उत्तमट्ठं पडिक्कमामि अईयं पडिक्कमामि १ अनागयं पडिक्कमामि २ पच्चुप्पन्नं पडिक्कमामि ३ कयं पडिक्कमामि १ कारियं पडिक्कमामि २ अनुमोइयं पडिक्कमामि ३, मिच्छत्तं पडिक्कमामि १ असंजमं पडिक्कमामि २ कसायं पडिक्कमामि ३ पावपओगं पडिक्कमामि ४, मिच्छादंसण परिणामेसु वा इहलोगेसु वा परलोगेसु वा सचित्तेसु वा अचित्तेसु वा पंचसु इंदियत्थेसु वा; अन्नाणंझाणे १ अनायारंझाणे २ कुदंसणंझाणे ३ कोहंझाणे ४ मानंझाणे ५ मायंझाणे ६ लोभंझाणे ७ रागंझाणे ८ दोसंझाणे ९ मोहंझाणे १० इच्छंझाणे ११ मिच्छंझाणे १२ मुच्छंझाणे १३ संकंझाणे १४ कंखंझाणे १५ गेहिंझाणे १६ आसंझाणे १७ तण्हंझाणे

Translated Sutra: हे भगवंत ! मैं अनशन करने की ईच्छा रखता हूँ। पाप व्यवहार को प्रतिक्रमता हूँ। भूतकाल के (पाप को) भावि में होनेवाले (पाप) को, वर्तमान के पाप को, किए हुए पाप को, करवाए हुए पाप को और अनुमोदन किए गए पाप का प्रतिक्रमण करता हूँ, मिथ्यात्व का, अविरति परिणाम, कषाय और पाप व्यापार का प्रतिक्रमण करता हूँ। मिथ्यादर्शन के परिणाम
Aturpratyakhyan આતુર પ્રત્યાખ્યાન Ardha-Magadhi

प्रतिक्रमणादि आलोचना

Gujarati 11 Sutra Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] इच्छामि भंते! उत्तमट्ठं पडिक्कमामि अईयं पडिक्कमामि १ अनागयं पडिक्कमामि २ पच्चुप्पन्नं पडिक्कमामि ३ कयं पडिक्कमामि १ कारियं पडिक्कमामि २ अनुमोइयं पडिक्कमामि ३, मिच्छत्तं पडिक्कमामि १ असंजमं पडिक्कमामि २ कसायं पडिक्कमामि ३ पावपओगं पडिक्कमामि ४, मिच्छादंसण परिणामेसु वा इहलोगेसु वा परलोगेसु वा सचित्तेसु वा अचित्तेसु वा पंचसु इंदियत्थेसु वा; अन्नाणंझाणे १ अनायारंझाणे २ कुदंसणंझाणे ३ कोहंझाणे ४ मानंझाणे ५ मायंझाणे ६ लोभंझाणे ७ रागंझाणे ८ दोसंझाणे ९ मोहंझाणे १० इच्छंझाणे ११ मिच्छंझाणे १२ मुच्छंझाणे १३ संकंझाणे १४ कंखंझाणे १५ गेहिंझाणे १६ आसंझाणे १७ तण्हंझाणे

Translated Sutra: હે ભગવન ! હું ઉત્તમાર્થને સાધવા અર્થાત અનશન કરવાને ઇચ્છુ છું. હું ભૂતકાળના, ભાવિમાં થનારા અને વર્તમાનના પાપ વ્યાપારને પ્રતિક્રમુ છું. કરેલા, કરાવેલા અને અનુમોદિત પાપને પ્રતિક્રમુ છું. મિથ્યાત્વ, અસંયમ કષાય અને પાપપ્રયોગને પ્રતિક્રમુ છું. મિથ્યાદર્શનના પરિણામને વિશે, આલોક કે પરલોકને વિશે, સચિત્ત કે અચિત્તને
Aturpratyakhyan આતુર પ્રત્યાખ્યાન Ardha-Magadhi

प्रतिक्रमणादि आलोचना

Gujarati 25 Gatha Painna-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] आया हु महं नाणे, आया मे दंसणे चरित्ते य । आया पच्चक्खाणे, आया मे संजमे जोगे ॥

Translated Sutra: સૂત્ર– ૨૫. મને જ્ઞાનમાં આત્મા, દર્શનમાં આત્મા, ચારિત્રમાં આત્મા, પચ્ચક્‌ખાણમાં આત્મા, સંયમ – યોગમાં પણ આત્મા (જ આલંબન) થાઓ. સૂત્ર– ૨૬. જીવ એકલો જાય છે, એકલો જ ઉપજે છે, એકલાને જ મરણ થાય છે અને કર્મ રહિત એકલો જ સિદ્ધ થાય છે. સૂત્ર– ૨૭. જ્ઞાન – દર્શન સહિત મારો આત્મા જ એક શાશ્વત છે, બાકીના બધા બાહ્ય ભાવો મારે સંબંધ માત્ર
Auppatik औपपातिक उपांग सूत्र Ardha-Magadhi

समवसरण वर्णन

Hindi 19 Sutra Upang-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं बाहिरए? बाहिरए छव्विहे, तं जहा–अनसने ओमोयरिया भिक्खायरिया रसपरिच्चाए कायकिलेसे पडिसंलीनया। से किं तं अनसने? अनसने दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–इत्तरिए य आवकहिए य। से किं तं इत्तरिए? इत्तरिए अनेगविहे पन्नत्ते, तं जहा–चउत्थभत्ते, छट्ठभत्ते, अट्ठमभत्ते, दसमभत्ते, बारसभत्ते, चउद्दसभत्ते, सोलसभत्ते, अद्धमासिए भत्ते मासिए भत्ते, दोमासिए भत्ते, तेमासिए भत्ते, चउमासिए भत्ते, पंचमासिए भत्ते, छम्मासिएभत्ते। से तं इत्तरिए। से किं तं आवकहिए? आवकहिए दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–पाओवगमणे य भत्तपच्चक्खाणे य। से किं तं पाओवगमणे? पाओवगमणे दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–वाघाइमे य

Translated Sutra: बाह्य तप क्या है ? बाह्य तप छह प्रकार के हैं – अनशन, अवमोदरिका, भिक्षाचर्या, रस – परित्याग, काय – क्लेश और प्रतिसंलीनता। अनशन क्या है ? अनशन दो प्रकार का है – १. इत्वरिक एवं २. यावत्कथिक। इत्वरिक क्या है ? इत्वरिक अनेक प्रकार का बतलाया गया है, जैसे – चतुर्थ भक्त, षष्ठ भक्त, अष्टम भक्त, दशम भक्त – चार दिन के उपवास, द्वादश
Auppatik औपपातिक उपांग सूत्र Ardha-Magadhi

उपपात वर्णन

Hindi 50 Sutra Upang-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] बहुजने णं भंते! अन्नमन्नस्स एवमाइक्खइ एवं भासइ एवं पन्नवेइ एवं परूवेइ–एवं खलु अम्मडे परिव्वायए कंपिल्लपुरे णयरे घरसए आहारमाहरेइ, घरसए वसहिं उवेइ। से कहमेयं भंते! एवं खलु गोयमा! जं णं से बहुजने अन्नमन्नस्स एवमाइक्खइ एवं भासइ एवं पन्नवेइ एवं परूवेइ– एवं खलु अम्मडे परिव्वायए कंपिल्लपुरे नयरे घरसए आहारमाहरेइ, घरसए वसहिं उवेइ, सच्चे णं एसमट्ठे अहंपि णं गोयमा! एवमाइक्खामि एवं भासामि एवं पन्नवेमि एवं परूवेमि एवं खलु अम्मडे परिव्वायए कंपिल्लपुरे नयरे घरसए आहारमाहरेइ, घरसए वसहिं उवेइ। से केणट्ठेणं भंते! एवं वुच्चइ–अम्मडे परिव्वायए कंपिल्लपुरे णयरे घरसए आहारमाहरेइ,

Translated Sutra: भगवन्‌ ! बहुत से लोग एक दूसरे से आख्यात करते हैं, भाषित करते हैं तथा प्ररूपित करते हैं कि अम्बड परिव्राजक काम्पिल्यपुर नगर में सौ घरों में आहार करता है, सौ घरों में निवास करता है। भगवन्‌ ! यह कैसे है ? बहुत से लोग आपस में एक दूसरे से जो ऐसा कहते हैं, प्ररूपित करते हैं कि अम्बड परिव्राजक काम्पिल्यपुर में सौ घरों में
Auppatik ઔપપાતિક ઉપાંગ સૂત્ર Ardha-Magadhi

समवसरण वर्णन

Gujarati 19 Sutra Upang-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं बाहिरए? बाहिरए छव्विहे, तं जहा–अनसने ओमोयरिया भिक्खायरिया रसपरिच्चाए कायकिलेसे पडिसंलीनया। से किं तं अनसने? अनसने दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–इत्तरिए य आवकहिए य। से किं तं इत्तरिए? इत्तरिए अनेगविहे पन्नत्ते, तं जहा–चउत्थभत्ते, छट्ठभत्ते, अट्ठमभत्ते, दसमभत्ते, बारसभत्ते, चउद्दसभत्ते, सोलसभत्ते, अद्धमासिए भत्ते मासिए भत्ते, दोमासिए भत्ते, तेमासिए भत्ते, चउमासिए भत्ते, पंचमासिए भत्ते, छम्मासिएभत्ते। से तं इत्तरिए। से किं तं आवकहिए? आवकहिए दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–पाओवगमणे य भत्तपच्चक्खाणे य। से किं तं पाओवगमणे? पाओवगमणे दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–वाघाइमे य

Translated Sutra: [૧] તે બાહ્યતપ શું છે? બાહ્યતપ છ ભેદે છે. તે આ રીતે – અનશન, ઊનોદરિકા, ભિક્ષાચર્યા, રસપરિત્યાગ, કાયક્લેશ પ્રતિસંલિનતા. તે અનશન શું છે ? અનશન બે ભેદે છે – ઇત્વરિક, યાવત્કથિત. તે ઇત્વરિક શું છે ? અનેકવિધ છે – ચતુર્થભક્ત, છઠ્ઠભક્ત, અઠ્ઠમભક્ત, દશમભક્ત, બારસભક્ત, ચૌદશભક્ત, સોલશભક્ત, અર્ધમાસિકભક્ત, માસિકભક્ત, બેમાસિક – ભક્ત
Auppatik ઔપપાતિક ઉપાંગ સૂત્ર Ardha-Magadhi

उपपात वर्णन

Gujarati 50 Sutra Upang-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] बहुजने णं भंते! अन्नमन्नस्स एवमाइक्खइ एवं भासइ एवं पन्नवेइ एवं परूवेइ–एवं खलु अम्मडे परिव्वायए कंपिल्लपुरे णयरे घरसए आहारमाहरेइ, घरसए वसहिं उवेइ। से कहमेयं भंते! एवं खलु गोयमा! जं णं से बहुजने अन्नमन्नस्स एवमाइक्खइ एवं भासइ एवं पन्नवेइ एवं परूवेइ– एवं खलु अम्मडे परिव्वायए कंपिल्लपुरे नयरे घरसए आहारमाहरेइ, घरसए वसहिं उवेइ, सच्चे णं एसमट्ठे अहंपि णं गोयमा! एवमाइक्खामि एवं भासामि एवं पन्नवेमि एवं परूवेमि एवं खलु अम्मडे परिव्वायए कंपिल्लपुरे नयरे घरसए आहारमाहरेइ, घरसए वसहिं उवेइ। से केणट्ठेणं भंते! एवं वुच्चइ–अम्मडे परिव्वायए कंपिल्लपुरे णयरे घरसए आहारमाहरेइ,

Translated Sutra: ભગવન્‌! ઘણા લોકો એકબીજાને એમ કહે છે, એમ ભાખે છે, એમ પ્રરૂપે છે કે નિશ્ચે અંબડ પરિવ્રાજક, કંપિલપુર નગરમાં સો ઘરોમાં આહાર કરે છે, સો ઘરોમાં વસતિ કરે છે. ભગવન્‌ ! તે કેવી રીતે ? ગૌતમ! જે ઘણા લોકો એકબીજાને એમ કહે છે યાવત્‌ એમ પ્રરૂપે છે – નિશ્ચે અંબડ પરિવ્રાજક કંપિલપુરમાં યાવત્‌ સો ઘરોમાં વસતિ કરે છે. આ અર્થ સત્ય છે. ગૌતમ
Auppatik ઔપપાતિક ઉપાંગ સૂત્ર Ardha-Magadhi

उपपात वर्णन

Gujarati 52 Sutra Upang-01 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] अनगारे णं भंते! भावियप्पा केवलिसमुग्घाएणं समोहए केवलकप्पं लोयं फुसित्ता णं चिट्ठइ? हंता चिट्ठइ। से नूनं भंते! केवलकप्पे लोए तेहिं निज्जरापोग्गलेहिं फुडे? हंता फुडे। छउमत्थे णं भंते! मणुस्से तेसिंनिज्जरापोग्गलाणं किंचि वण्णेणं वण्णं गंधेणं गंधं रसेणं रसं फासेणं फासं जाणइ पासइ? गोयमा! नो इणट्ठे समट्ठे। से केणट्ठेणं भंते! एवं वुच्चइ–छउमत्थे णं मनुस्से तेसिं निज्जरापोग्गलाणं नो किंचि वण्णेणं वण्णं गंधेणं गंधं रसेणं रसं फासेणं फासं जाणइ पासइ? गोयमा! अयं णं जंबुद्दीवे दीवे सव्वदीवसमुद्दाणं सव्वब्भंतराए सव्वखुड्डाए वट्टे तेल्लापू-यसंठाणसंठिए, वट्टे रहचक्कवालसंठाणसंठिए,

Translated Sutra: સૂત્ર– ૫૨. ભગવન્‌! ભાવિતાત્મા અણગાર કેવલી સમુદ્‌ઘાતથી સમવહત થઈને કેવલકલ્પ લોકને સ્પર્શીને રહે છે? હા, રહે છે. ભગવન્‌ ! તેઓ શું કેવલકલ્પ લોકમાં તે નિર્જરા પુદ્‌ગલથી સ્પર્શે ? હા, સ્પર્શે. ભગવન્‌ ! છદ્મસ્થ મનુષ્ય તે નિર્જરા પુદ્‌ગલના કંઈક વર્ણથી વર્ણ, ગંધથી ગંધ, રસથી રસ, સ્પર્શથી સ્પર્શને જાણે – જુએ ? ગૌતમ ! આ અર્થ
Bhagavati भगवती सूत्र Ardha-Magadhi

शतक-१९

उद्देशक-३ पृथ्वी Hindi 762 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] एएसि णं भंते! पुढविकाइयाणं आउ-तेउ-वाउ-वणस्सइकाइयाणं सुहुमाणं बादराणं पज्जत्तगाणं अपज्जत्तगाणं जहण्णुक्कोसियाए ओगाहणाए कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा? बहुया वा? तुल्ला वा? विसेसाहिया वा? गोयमा! १. सव्वत्थोवा सुहुमनिओयस्स अपज्जत्तगस्स जहन्निया ओगाहणा २. सुहुमवाउ- क्काइयस्स अपज्जत्तगस्स जहन्निया ओगाहणा असंखेज्जगुणा ३. सुहुमतेउकाइयस्स अपज्जत्त-गस्स जहन्निया ओगाहणा असंखेज्जगुणा ४. सुहुमआउकाइयस्स अपज्जत्तगस्स जहन्निया ओगाहणा असंखेज्जगुणा ५. सुहुमपुढविक्काइयस्स अपज्जत्तगस्स जहन्निया ओगाहणा असंखे-ज्जगुणा ६. बादर-वाउकाइयस्स अपज्जत्तगस्स जहन्निया ओगाहणा असंखेज्जगुणा

Translated Sutra: भगवन्‌ ! इन सूक्ष्म – बादर, पर्याप्तक – अपर्याप्तक, पृथ्वीकायिक, अप्कायिक, तेजस्कायिक, वायुकायिक और वनस्पतिकायिक जीवों की जघन्य और उत्कृष्ट अवगाहनाओं में से किसकी अवगाहना किसकी अवगाहना से अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक होती है ? गौतम ! सबसे अल्प, अपर्याप्तक सूक्ष्मनिगोद की जघन्य अव – गाहना है। उससे असंख्यगुणी
Bhagavati भगवती सूत्र Ardha-Magadhi

शतक-१

उद्देशक-५ पृथ्वी Hindi 62 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु एगमेगंसि निरयावासंसि नेरइयाणं केवइया ठितिट्ठाणा पन्नत्ता? गोयमा! असंखेज्जा ठितिट्ठाणा पन्नत्ता, तं जहा–जहन्निया ठिती, समयाहिया जहन्निया ठिती, दुसमयाहिया जहन्निया ठिती जाव असंखेज्जसमयाहिया जहन्निया ठिती। तप्पाउग्गुक्कोसिया ठिती। इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु एगमेगंसि निरयावासंसि जहन्नियाए ठितीए वट्टमाणा नेरइया किं–कोहोवउत्ता? मानोवउत्ता? मायोवउत्ता? लोभोवउत्ता? गोयमा! सव्वे वि ताव होज्जा १. कोहोवउत्ता। २. अहवा कोहोवउत्ता य, मानोवउत्ते य। ३. अहवा कोहोवउत्ता य, मानोवउत्ता

Translated Sutra: भगवन्‌ ! इस रत्नप्रभा पृथ्वी के तीस लाख नारकावासों में से एक – एक नारकावास में रहने वाले नारक जीवों के कितने स्थिति – स्थान कहे गए हैं ? गौतम ! उनके असंख्य स्थान हैं। वे इस प्रकार हैं – जघन्य स्थिति दस हजार वर्ष की है, वह एक समय अधिक, दो समय अधिक – इस प्रकार यावत्‌ जघन्य स्थिति असंख्यात समय अधिक है, तथा उसके योग्य
Bhagavati भगवती सूत्र Ardha-Magadhi

शतक-१

उद्देशक-५ पृथ्वी Hindi 63 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु एगमेगंसि निरयावासंसि समयाहियाए जहन्नट्ठितीए वट्ठमाणा नेरइया किं– कोहोवउत्ता? मानोवउत्ता? मायोवउत्ता? लोभोवउत्ता? गोयमा! कोहोवउत्ते य, मानोवउत्ते य, मायोवउत्ते य, लोभोवउत्ते य। कोहोवउत्ता य, मानोवउत्ता य, मायोवउत्ता य, लोभोवउत्ता य। अहवा कोहोवउत्ते य, मानोवउत्ते य। अहवा कोहोवउत्ते य, मानोवउत्ता य। एवं असीतिभंगा नेयव्वा। एवं जाव संखेज्जसमयाहियाए ठितीए, असंखेज्जसमयाहियाए ठितीए तप्पाउग्गुक्को-सियाए ठितीए सत्तावीसं भंगा भाणियव्वा इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु एगमेगंसि

Translated Sutra: भगवन्‌ ! इस रत्नप्रभा पृथ्वी के तीस लाख नारकावासों में से एक – एक नारकावास में रहने वाले नारकों के अवगाहना स्थान कितने हैं ? गौतम ! उनके अवगाहना स्थान असंख्यात हैं। जघन्य अवगाहना (अंगुल के असंख्यातवें भाग), (मध्यम अवगाहना) एक प्रदेशाधिक जघन्य अवगाहना, द्विप्रदेशाधिक जघन्य अवगाहना, यावत्‌ असंख्यात प्रदेशाधिक
Bhagavati भगवती सूत्र Ardha-Magadhi

शतक-१

उद्देशक-५ पृथ्वी Hindi 64 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए जाव नेरइया किं सम्मदिट्ठी? मिच्छदिट्ठी? सम्मामिच्छदिट्ठी? तिन्नि वि। इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए जाव सम्मदंसणे वट्टमाणा नेरइया किं कोहोवउत्ता? सत्तावीसं भंगा। एवं मिच्छदंसणे वि। सम्मामिच्छदंसणे असीतिभंगा। इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए जाव नेरइया किं नाणी, अन्नाणी? गोयमा! नाणी वि, अन्नाणी वि। तिन्नि नाणाइं नियमा। तिन्नि अन्नाणाइं भयणाए। इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए जाव आभिनिबोहियनाणे वट्टमाणा नेरइया किं कोहोवउत्ता? सत्तावीसं भंगा। एवं तिन्नि नाणाइं, तिन्नि अन्नाणाइं भाणियव्वाइं। इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए जाव नेरइया किं मणजोगी? वइजोगी? कायजोगी? तिन्नि

Translated Sutra: भगवन्‌ ! इस रत्नप्रभा पृथ्वी में बसने वाले नारक जीव क्या सम्यग्दृष्टि हैं, मिथ्यादृष्टि हैं, या सम्यग्‌मिथ्या – दृष्टि (मिश्रदृष्टि) हैं ? हे गौतम ! वे तीनों प्रकार के होते हैं। भगवन्‌ ! इस रत्नप्रभापृथ्वी में बसने वाले सम्यग्दृष्टि नारक क्या क्रोधोपयुक्त यावत्‌ लोभोपयुक्त हैं ? गौतम ! इनके क्रोधोपयुक्त आदि
Bhagavati भगवती सूत्र Ardha-Magadhi

शतक-१

उद्देशक-५ पृथ्वी Hindi 68 Sutra Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] बेइंदिय-तेइंदिय-चउरिंदियाणं जेहिं ठाणेहिं नेरइयाणं असीइभंगा तेहिं ठाणेहिं असीइं चेव, नवरं–अब्भहिया सम्मत्ते। आभिनिबोहियनाणे, सुयनाणे य एएहिं असीइभंगा। जेहिं ठाणेहिं नेरइयाणं सत्तावीसं भंगा तेसु ठाणेसु सव्वेसु अभंगयं। पंचिंदियतिरिक्खजोणिया जहा नेरइया तहा भाणियव्वा, नवरं–जेहिं सत्तावीसं भंगा तेहिं अभंगयं कायव्वं। मनुस्सा वि। जेहिं ठाणेहिं नेरइयाणं असीतिभंगा तेहिं ठाणेहिं मनुस्साण वि असीतिभंगा भाणियव्वा। जेसु सत्तावीसा तेसु अभंगयं, नवरं–मनुस्साणं अब्भहियं जहन्नियाए ठिईए, आहारए य असीतिभंगा। वाणमंतर-जोतिस-वेमाणिया जहा भवनवासी, नवरं– नाणत्तं जाणियव्वं

Translated Sutra: जिन स्थानों में नैरयिक जीवों के अस्सी भंग कहे गए हैं, उन स्थानों में द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय और चतुरिन्द्रिय जीवों के भी अस्सी भंग होते हैं। विशेषता यह है कि सम्यक्त्व, आभिनिबोधिक ज्ञान, और श्रुतज्ञान – इन तीन स्थानों में भी द्वीन्द्रिय आदि जीवों के अस्सी भंग होते हैं, इतनी बात नारक जीवों से अधिक है। तथा
Bhagavati भगवती सूत्र Ardha-Magadhi

शतक-६

उद्देशक-३ महाश्रव Hindi 278 Gatha Ang-05 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] १ बहुकम्म २ वत्थपोग्गल-पयोगसा-वीससा य ३ सादीए । ४ कम्मट्ठिति ५ त्थि ६ संजय ७ सम्मदिट्ठी य ८ सन्नी य ॥

Translated Sutra: १. बहुकर्म, २. वस्त्रमें प्रयोग से और स्वाभाविक रूप से (विस्रसा) पुद्‌गल, ३. सादि, ४. कर्मस्थिति, ५. स्त्री, ६. संयत, ७. सम्यग्दृष्टि, ८. संज्ञी, ९. भव्य, १०. दर्शन, ११. पर्याप्त, १२. भाषक, १३. परित्त, १४. ज्ञान, १५. योग, १६. उपयोग, १७. आहारक, १८. सूक्ष्म, १९. चरम – बन्ध २०. अल्पबहुत्व का वर्णन इस उद्देशकमें किया गया है। सूत्र – २७८,
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