Welcome to the Jain Elibrary: Worlds largest Free Library of JAIN Books, Manuscript, Scriptures, Aagam, Literature, Seminar, Memorabilia, Dictionary, Magazines & Articles

Global Search for JAIN Aagam & Scriptures

Search Results (6399)

Show Export Result
Note: For quick details Click on Scripture Name
Scripture Name Translated Name Mool Language Chapter Section Translation Sutra # Type Category Action
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 325 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं निक्खेवे? निक्खेवे तिविहे पन्नत्ते, तं–ओहनिप्फन्ने नामनिप्फन्ने सुत्तालावगनिप्फन्ने। से किं तं ओहनिप्फन्ने? ओहनिप्फन्ने चउव्विहे पन्नत्ते, तं–अज्झयणे अज्झीणे आए ज्झवणा। से किं तं अज्झयणे? अज्झयणे चउव्विहे पन्नत्ते, तं जहा–नामज्झयणे ठवणज्झयणे दव्वज्झयणे भावज्झयणे। नाम-ट्ठवणाओ गयाओ। से किं तं दव्वज्झयणे? दव्वज्झयणे दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–आगमओ य नोआगमओ य। से किं तं आगमओ दव्वज्झयणे? आगमओ दव्वज्झयणे–जस्स णं अज्झयणे त्ति पदं सिक्खियं ठियं जियं मियं परिजियं नामसमं घोससमं अहीनक्खरं अनच्चक्खरं अव्वाइद्धक्खरं अक्खलियं अमिलियं अवच्चामेलियं पडिपुण्णं

Translated Sutra: निक्षेप किसे कहते हैं ? निक्षेप तीन प्रकार हैं। यथा – ओघनिष्पन्न, नामनिष्पन्न, सूत्रालापकनिष्पन्न। ओघनिष्पन्ननिक्षेप के चार भेद हैं। उनके नाम हैं – अध्ययन, अक्षीण, आय, क्षपणा। अध्ययन के चार प्रकार हैं, यथा – नाम अध्ययन, स्थापना अध्ययन, द्रव्य अध्ययन, भाव अध्ययन। नाम और स्थापना अध्ययन का स्वरूप पूर्ववत्‌
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 327 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से तं नोआगमओ भावज्झयणे। से तं भावज्झयणे। से तं अज्झयणे। से किं तं अज्झीणे? अज्झीणे चउव्विहे पन्नत्ते, तं जहा–नामज्झीणे ठवणज्झीणे दव्वज्झीणे भावज्झीणे। नाम-ट्ठवणाओ गयाओ। से किं तं दव्वज्झीणे? दव्वज्झीणे दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–आगमओ य नोआगमओ य। से किं तं आगमओ दव्वज्झीणे? आगमओ दव्वज्झीणे–जस्स णं अज्झीणे त्ति पदं सिक्खियं ठियं जियं मियं परिजियं नामसमं घोससमं अहीनक्खरं अनच्चक्खरं अव्वाइद्धक्खरं अक्खलियं अमिलियं अवच्चामेलियं पडिपुण्णं पडिपुन्नघोसं कंटोट्ठविप्पमुक्कं गुरुवायणोवगयं, से णं तत्थ वायणाए पुच्छणाए परियट्टणाए धम्मकहाए, नो अनुप्पेहाए। कम्हा?

Translated Sutra: यह नोआगमभाव – अध्ययन का स्वरूप है। अक्षीण का क्या स्वरूप है ? अक्षीण के चार प्रकार हैं। यथा – नाम – अक्षीण, स्थापना – अक्षीण, द्रव्य – अक्षीण और भाव – अक्षीण। नाम और स्थापना अक्षीण का स्वरूप पूर्ववत्‌ जानना। द्रव्य – अक्षीण क्या है ? दो प्रकार हैं। यथा – आगम से, नोआगम से। जिसने अक्षीण इस पद को सीख लिया है, स्थिर,
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 329 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से तं नोआगमओ भावज्झीणे। से तं भावज्झीणे। से तं अज्झीणे। से किं तं आए? आए चउव्विहे पन्नत्ते, तं जहा–नामाए ठवणाए दव्वाए भावाए। नाम-ट्ठवणाओ गयाओ। से किं तं दव्वाए? दव्वाए दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–आगमओ य नोआगमओ य। से किं तं आगमओ दव्वाए? आगमओ दव्वाए–जस्स णं आए त्ति पदं सिक्खियं ठियं जियं मियं परिजियं नाम-समं घोससमं अहीणक्खरं अणच्चक्खरं अव्वाइद्धक्खरं अक्खलियं अमिलियं अवच्चामेलियं पडिपुण्णं पडिपुन्नघोसं कंठोट्ठविप्पमुक्कं गुरुवायणोवगयं, से णं तत्थ वायणाए पुच्छणाए परियट्टणाए धम्मकहाए, नो अनुप्पेहाए। कम्हा? अनुवओगो दव्वमिति कट्टु। नेगमस्स एगो अनुवउत्तो आगमओ

Translated Sutra: इस प्रकार से नोआगमभाव – अक्षीण का स्वरूप जानना चाहिए। आय क्या है ? आय के चार प्रकार हैं। यथा – नाम – आय, स्थापना – आय, द्रव्य – आय, भाव – आय। नाम – आय और स्थापना – आय का ‘वर्ण’ पूर्ववत्‌ जानना। द्रव्य – आय के दो भेद हैं – आगम से, नोआगम से। जिसने आय यह पद सीख लिया हे, स्थिर कर लिया है किन्तु उपयोग रहित होने से द्रव्य हैं
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 9 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं आवस्सयं? आवस्सयं चउव्विहं पन्नत्तं, तं जहा–नामावस्सयं ठवणावस्सयं दव्वावस्सयं भावावस्सयं।

Translated Sutra: आवश्यक का स्वरूप क्या है ? आवश्यक चार प्रकार का है। नाम – आवश्यक, स्थापना – आवश्यक, द्रव्य – आवश्यक, भाव – आवश्यक।
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 13 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं दव्वावस्सयं? दव्वावस्सयं दुविहं पन्नत्तं, तं जहा–आगमओ य नोआगमओ य।

Translated Sutra: द्रव्य – आवश्यक क्या है ? द्रव्यावश्यक दो प्रकार का है। आगमद्रव्यावश्यक, नोआगमद्रव्यावश्यक।
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 14 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं आगमओ दव्वावस्सयं? आगमओ दव्वावस्सयं–जस्स णं आवस्सए त्ति पदं सिक्खियं ठियं जियं मियं परिजियं नामसमं धोससमं अहीनक्खरं अनच्चक्खरं अव्वाइद्धक्खरं अक्खलियं अमिलियं अवच्चामेलियं पडिपुण्णं पडिपुन्नघोसं कंठोट्ठविप्पमुक्कं गुरुवायणोवगयं, से णं तत्थ वायणाए पुच्छणाए परियट्टणाए धम्मकहाए, नो अनुप्पेहाए। कम्हा? अनुवओगो दव्वमिति कट्टु।

Translated Sutra: आगमद्रव्य – आवश्यक क्या है ? जिस ने ‘आवश्यक’ पद को सीख लिया है, स्थित कर लिया है, जित कर लिया है, मित कर लिया है, परिजित कर लिया है, नामसम कर लिया है, घोषसम किया है, अहीनाक्षर किया है, अनत्यक्षर किया है, व्यतिक्रमरहित उच्चारण किया है, अस्खलित किया है, पदों को मिश्रित करके उच्चारण नहीं किया है, एक शास्त्र के भिन्न – भिन्न
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 22 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं लोगुत्तरियं दव्वावस्सयं? लोगुत्तरियं दव्वावस्सयं–जे इमे समणगुणमुक्कजोगी छक्कायनिरनुकंपा हया इव उद्दामा गया इव निरंकुसा घट्ठा मट्ठा तुप्पोट्ठा पंडुरपाउरणा जिनाणं अणाणाए सच्छंदं विहरिऊणं उभओकालं आवस्सयस्स उवट्ठंति। से तं लोगुत्तरियं दव्वावस्सयं। से तं जाणगसरीर-भवियसरीरवतिरत्तं दव्वावस्सयं। से त्तं नोआगमओ दव्वावस्सयं। से तं दव्वावस्सयं।

Translated Sutra: लोकोत्तरिक द्रव्यावश्यक क्या है ? जो श्रमण के गुणों से रहित हों, छह काय के जीवों के प्रति अनुकम्पा न होने के कारण अश्व की तरह उद्दाम हों, हस्तिवत्‌ निरंकुश हों, स्निग्ध पदार्थों के लेप से अंग – प्रत्यंगों को कोमल, सलौना बनाते हों, शरीर को धोते हों, अथवा केशों का संस्कार करते हों, ओठों को मुलायम रखने के लिए मक्खन
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 33 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं सुयं? सुयं चउव्विहं पन्नत्तं, तं जहा–नामसुयं ठवणासुयं दव्वसुयं भावसुयं।

Translated Sutra: श्रुत क्या है ? श्रुत चार प्रकार का है – नामश्रुत, स्थापनाश्रुत, द्रव्यश्रुत, भावश्रुत।
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 36 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं दव्वसुयं? दव्वसुयं दुविहं पन्नत्तं, तं जहा–आगमओ य नोआगमओ य।

Translated Sutra: द्रव्यश्रुत क्या है ? दो प्रकार का है। जैसे – आगमद्रव्यश्रुत, नोआगमद्रव्यश्रुत।
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 37 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं आगमओ दव्वसुयं? आगमओ दव्वसुयं–जस्स णं सुए त्ति पदं सिक्खियं ठियं जिय मियं परिजियं नामसमं घोससमं अहीनक्खरं अनच्चक्खरं अव्वाइद्धक्खरं अक्खलियं अमिलियं अवच्चामेलियं पडिपुण्णं पडिपुन्नघोसं कठोट्ठविप्पमुक्कं गुरुवायणोवगयं, से णं तत्थ वायणाए पुच्छणाए परियट्टणाए धम्मकहाए, नो अनुप्पेहाए। कम्हा? अनुवओगो दव्वमिति कट्टु। नेगमस्स एगो अनुवउत्तो आगमओ एगं दव्वसुयं, दोन्नि अनुवउत्ता आगमओ दोन्नि दव्वसुयाइं, तिन्नि अनुवउत्ता आगमओ तिन्नि दव्वसुयाइं, एवं जावइया अनुवउत्ता तावइयाइं ताइं नेगमस्स आगमओ दव्वसुयाइं। एवमेव ववहारस्स वि। संगहस्स एगो वा अनेगा वा अनुवउत्तो

Translated Sutra: आगम की अपेक्षा द्रव्यश्रुत का क्या स्वरूप है ? जिस साधु आदि ने श्रुत यह पद सीखा है, स्थिर, जित, मित, परिजित किया है यावत्‌ जो ज्ञायक हैं वह अनुपयुक्त नहीं होता है आदि। यह आगम द्रव्यश्रुत का स्वरूप है
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 38 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं नोआगमओ दव्वसुयं? नोआगमओ दव्वसुयं तिविहं पन्नत्तं, तं जहा–जाणगसरीरदव्वसुयं भवियसरीरदव्वसुयं जाणगसरीर-भवियसरीर-वतिरित्तं दव्वसुयं।

Translated Sutra: नोआगमद्रव्यश्रुत क्या है ? तीन प्रकार का है। ज्ञायकशरीरद्रव्यश्रुत, भव्यशरीरद्रव्यश्रुत, ज्ञायकशरीर – भव्यशरीरव्य – तिरिक्तद्रव्यश्रुत।
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 39 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं जाणगसरीरदव्वसुयं? जाणगसरीरदव्वसुयं–सुए त्ति पयत्थाहिगारजाणगस्स जं सरीरयं ववगय-चुय-चाविय-चत्तदेहं जीवविप्पजढं सेज्जागयं वा संथारगयं वा निसीहियागयं वा सिद्धसिलातलगयं वा पासित्ताणं कोइ वएज्जा–अहो णं इमेणं सरीरसमुस्सएणं जिणदिट्ठेणं भावेणं सुए त्ति पयं आघवियं पन्नवियं परूवियं दंसियं निदंसियं उवदंसियं। जहा को दिट्ठंतो? अयं महुकुंभे आसी, अयं घयकुंभे आसी। से तं जाणगसरीरदव्वसुयं।

Translated Sutra: ज्ञायकशरीर – द्रव्यश्रुत क्या है ? श्रुतपद के अर्थाधिकार के ज्ञाता के व्यपगत, च्युत, च्यावित, त्यक्त, जीवरहित शरीर को शय्यागत, संस्तारकगत अथवा सिद्धाशिला देखकर कोई कहे – अहो ! इस शरीररूप परिणत पुद्‌गलसंघात द्वारा जिनोपदेशित भाव से ‘श्रुत’ इस पद की गुरु से वाचना ली थी, प्रज्ञापित, प्ररूपित, दर्शित, निदर्शित,
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 40 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं भवियसरीरदव्वसुयं? भवियसरीरदव्वसुयं–जे जीवे जोणीजम्मणनिक्खंते इमेणं चेव आदत्तएणं सरीरसमुस्सएणं जिणदिट्ठेणं भावेणं सुए त्ति पयं सेयकाले सिक्खिस्सइ, न ताव सिक्खइ। जहा को दिट्ठंतो? अयं महुकुंभे भविस्सइ, अयं घयकुंभे भविस्सइ। से तं भवियसरीरदव्वसुयं।

Translated Sutra: भव्यशरीरद्रव्यश्रुत क्या है ? समय पूर्ण होने पर जो जीव योनि में से निकला और प्राप्त शरीरसंघात द्वारा भविष्य में जिनोपदिष्ट भावानुसार श्रुतपद को सीखेगा, किन्तु वर्तमान में सीख नहीं रहा है, ऐसे उस जीव का वह शरीर भव्यशरीर – द्रव्यश्रुत है। इसका दृष्टान्त ? ‘यह मधुपट है, यह घृतघट है’ ऐसा कहा जाता है।
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 41 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं जाणगसरीर-भवियसरीर-वतिरित्तं दव्वसुयं? जाणगसरीर-भवियसरीर-वतिरित्तं दव्वसुयं–पत्तय-पोत्थय-लिहियं। अहवा सुयं पंचविहं पन्नत्तं, तं जहा–अंडयं बोंडयं कीडयं वालयं वक्कयं। से किं तं अंडयं? अंडयं–हंसगब्भाइ। से तं अंडयं। से किं तं बोंडयं? बोंडयं–फलिहमाइ। से तं बोंडयं। से किं तं कीडयं? कीडयं पंचविहं पन्नत्तं, तं जहा–पट्टे मलए अंसुए चीणंसुए किमिरागे। से तं कीडयं। से किं तं वालयं? वालयं पंचविहं पन्नत्तं, तं जहा–उन्निए उट्टिए मियलोमिए कुतवे किट्टिसे। से तं वालयं। से किं तं वक्कयं? वक्कयं–सणमाइ। से तं वक्कयं। से तं जाणगसरीर-भवियसरीर-वतिरित्तं दव्वसुयं। से तं

Translated Sutra: ज्ञायकशरीर – भव्यशरीरव्यतिरिक्त – द्रव्यश्रुत क्या है ? ताड़पत्रों अथवा पत्रों के समूहरूप पुस्तक में लिखित श्रुत ज्ञायकशरीर – भव्यशरीरव्यतिरिक्तद्रव्यश्रुत हैं। अथवा वह पाँच प्रकार का है – अंडज, बोंडज, कीटज, वालज, बल्कज। अंडज किसे कहते हैं ? हंसगर्भादि से बने सूत्र को अंडज कहते हैं। बोंडज किसे कहते हैं ?
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 50 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं खंधे? खंधे चउव्विहे पन्नत्ते, तं जहा–नामखंधे ठवणाखंधे दव्वखंधे भावखंधे।

Translated Sutra: स्कन्ध क्या है ? स्कन्ध के चार प्रकार हैं। नामस्कन्ध, स्थापनास्कन्ध, द्रव्यस्कन्ध, भावस्कन्ध।
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 52 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं दव्वखंधे? दव्वक्खंधे दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–आगमओ य नोआगमओ य। से किं तं आगमओ दव्वखंधे? आगमओ दव्वखंधे–जस्स णं खंधे त्ति पदं सिक्खियं सेसं जहा दव्वा-वस्सए तहा भाणियव्वं नवरं खंधाभिलाओ जाव से किं तं जाणगसरीर-भवियसरीर-वतिरित्ते दव्वखंधे जाणगसरीर-भविय-सरीर-वतिरित्ते दव्वखंधे तिविहे पन्नत्ते तं जहा–सचित्ते अचित्ते मीसए।

Translated Sutra: द्रव्यस्कन्ध क्या है ? दो प्रकार का है। आगमद्रव्यस्कन्ध और नोआगमद्रव्यस्कन्ध। आगमद्रव्यस्कन्ध क्या है ? जिसने स्कन्धपद को गुरु से सीखा है, स्थित किया है, जित, मित किया है यावत्‌ नैगमनय की अपेक्षा एक अनुपयुक्त आत्मा आगम से एक द्रव्यस्कन्ध है, दो अनुपयुक्त आत्माऍं दो, इस प्रकार जितनी भी अनुपयुक्त आत्माऍं हैं,
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 53 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं सचित्ते दव्वखंधे? सचित्ते दव्वखंधे अनेगविहे पन्नत्ते, तं जहा–हयखंधे गयखंधे किन्नरखंधे किंपुरिसखंधे महोरगखंधे उसभखंधे। से तं सचित्ते दव्वखंधे।

Translated Sutra: सचित्तद्रव्यस्कन्ध क्या है ? उसके अनेक प्रकार हैं। हयस्कन्ध, गजस्कन्ध, किन्नरस्कन्ध, किंपुरुषस्कन्ध, महोरग – स्कन्ध, वृषभस्कन्ध। यह सचित्तद्रव्यस्कन्ध का स्वरूप है।
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 54 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं अचित्ते दव्वखंधे? अचित्ते दव्वखंधे अनेगविहे पन्नत्ते, तं जहा–दुपएसिए खंधे तिपएसिए खंधे जाव दसपएसिए खंधे संखेज्जपएसिए खंधे असंखेज्जपएसिए खंधे अनंतपएसिए खंधे। से तं अचित्ते दव्वखंधे।

Translated Sutra: अचित्तद्रव्यस्कन्ध का स्वरूप क्या है ? अनेक प्रकार का है। द्विप्रदेशिक स्कन्ध, त्रिप्रदेशिक स्कन्ध यावत्‌ दसप्रदेशिक स्कन्ध, संख्यातप्रदेशिक स्कन्ध, असंख्यातप्रदेशिक स्कन्ध, अनन्तप्रदेशिक स्कन्ध। यह अचित्तद्रव्यस्कन्ध का स्वरूप है।
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 55 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं मीसए दव्वखंधे? मीसए दव्वखंधे अनेगविहे पन्नत्ते, तं जहा–सेणाए अग्गिमे खंधे सेणाए मज्झिमे खंधे सेणाए पच्छिमे खंधे। से तं मीसए दव्वखंधे।

Translated Sutra: मिश्रद्रव्यस्कन्ध क्या है ? अनेक प्रकार का है। सेना का अग्रिम स्कन्ध, सेना का मध्यस्कन्ध, सेना का अंतिम स्कन्ध। यह मिश्रद्रव्यस्कन्ध का स्वरूप है।
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 56 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] अहवा जाणगसरीर-भवियसरीर-वतिरित्ते दव्वखंधे तिविहे पन्नत्ते, तं जहा–कसिणखंधे अकसिणखंधे अनेगदवियखंधे।

Translated Sutra: अथवा ज्ञायकशरीर – भव्यशरीरव्यतिरिक्तद्रव्यस्कन्ध के तीन प्रकार हैं। कृत्स्नस्कन्ध, अकृत्स्नस्कन्ध और अनेकद्रव्यस्कन्ध।
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 59 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं अनेगदवियखंधे? अनेगदवियखंधे–तस्सेव देसे अवचिए तस्सेव देसे उवचिए। से तं अनेगदवियखंधे। से तं जाणगसरीर-भवियसरीर-वतिरित्ते दव्वखंधे। से तं दव्वखंधे।

Translated Sutra: अनेकद्रव्यस्कन्ध क्या है ? एकदेश अपचित्त और एकदेश उपचित्त भाग मिलकर उनका जो समुदाय बनता है, वह अनेकद्रव्यस्कन्ध हैं।
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 70 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं उवक्कमे? उवक्कमे छव्वीहे पन्नत्ते तं जहा–१. नामोवक्कमे २. ठवणोवक्कमे ३. दव्वोवक्कमे ४. खेत्तोवक्कमे ५. कालोवक्कमे ६. भावोवक्कमे। से नामट्ठवणाओ गयाओ । से किं तं दव्वोवक्कमे? दव्वोवक्कमे दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–आगमओ य नोआगमओ य। से किं तं आगमओ दव्वोवक्कमे? आगमओ दव्वोवक्कमे–जस्स णं उवक्कमे त्ति पदं सिक्खियं ठियं जियं मियं परिजियं नामसमं घोससमं अहीनक्खरं अनच्चक्खरं अव्वाइद्धक्खरं अक्खलियं अमिलियं अवच्चामेलियं पडिपुण्णं पडिपुन्नघोसं कंठोट्ठविप्पमुक्कं गुरुवायणोवगयं, से णं तत्थ वायणाए पुच्छणाए परियट्टणाए धम्मकहाए, नो अनुप्पेहाए। कम्हा? अनुवओगो

Translated Sutra: उपक्रम क्या है ? उपक्रम के छह भेद हैं। नाम – उपक्रम, स्थापना – उपक्रम, द्रव्य – उपक्रम, क्षेत्र – उपक्रम, काल – उपक्रम, भाव – उपक्रम। नाम और स्थापना – उपक्रम का स्वरूप नाम एवं स्थापना आवश्यक के समान जानना द्रव्य – उपक्रम क्या है ? दो प्रकार का है – आगमद्रव्य – उपक्रम, नोआगमद्रव्य – उपक्रम इत्यादि पूर्ववत्‌ जानना
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 81 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं आनुपुव्वी? आनुपुव्वी दसविहा पन्नत्ता, तं जहा–१. नामानुपुव्वी २. ठवणानुपुव्वी ३. दव्वानुपुव्वी ४. खेत्तानुपुव्वी ५. कालानुपुव्वी ६. उक्कित्तणानुपुव्वी ७. गणणानुपुव्वी ८. संठाणानुपुव्वी ९. सामायारियानुपुव्वी १०. भावानुपुव्वी।

Translated Sutra: आनुपूर्वी क्या है ? दस प्रकार की है। नामानुपूर्वी, स्थापनानुपूर्वी, द्रव्यानुपूर्वी, क्षेत्रानुपूर्वी, कालानुपूर्वी, उत्कीर्तनानुपूर्वी, गणनानुपूर्वी, संस्थानानुपूर्वी, सामाचार्यनुपूर्वी, भावानुपूर्वी।
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 82 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं नामानुपुव्वी? नामानुपुव्वी– जस्स णं जीवस्स वा अजीवस्स वा जीवाण वा अजीवाण वा तदुभयस्स वा तदुभयाण वा आनुपुव्वी त्ति नामं कज्जइ। से तं नामानुपुव्वी। से किं तं ठवणानुपुव्वी? ठवणानुपुव्वी– जण्णं कट्ठकम्मे वा चित्तकम्मे वा पोत्थकम्मे वा लेप्पकम्मे वा गंथिमे वा वेढिमे वा पूरिमे वा संघाइमे वा अक्खे वा वराडए वा एगो वा अनेगा वा सब्भावठवणाए वा असब्भाव-ठवणाए वा आनुपुव्वी त्ति ठवणा ठविज्जइ। से तं ठवणानुपुव्वी। नाम-ट्ठवणाणं को पइविसेसो? नामं आवकहियं, ठवणा इत्तरिया वा होज्जा आवकहिया वा। से किं तं दव्वानुपुव्वी? दव्वानुपुव्वी दुविहा पन्नत्ता, तं जहा–आगमओ य नोआगमओ

Translated Sutra: नाम (स्थापना) आनुपूर्वी क्या है ? नाम और स्थापना आनुपूर्वी का स्वरूप नाम और स्थापना आवश्यक जैसा जानना। द्रव्यानुपूर्वी का स्वरूप भी ज्ञायकशरीर – भव्यशरीरव्यतिरिक्त द्रव्यानुपूर्वी के पहले तक सभेद द्रव्यावश्यक के समान जानना चाहिए। ज्ञायकशरीर – भव्यशरीरव्यतिरिक्त द्रव्यानुपूर्वी क्या है ? दो प्रकार की
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 83 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं नेगम-ववहाराणं अनोवनिहिया दव्वानुपुव्वी? नेगम-ववहाराणं अनोवनिहिया दव्वानुपुव्वी पंचविहा पन्नत्ता, तं जहा–१. अट्ठपयपरूवणया २. भंगसमुक्कित्तणया ३. भंगोवदंसणया ४. समोयारे ५. अनुगमे।

Translated Sutra: नैगमनय और व्यवहारनय द्वारा मान्य अनौपनिधिकी द्रव्यानुपूर्वी क्या है ? उसके पाँच प्रकार हैं। अर्थपदप्ररूपणा, भंगसमुत्कीर्तनता, भंगोपदर्शनता, समवतार और अनुगम।
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 89 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं समोयारे? समोयारे–नेगम-ववहाराणं आनुपुव्विदव्वाइं कहिं समोयरंति– किं आनुपुव्विदव्वेहिं समोय-रंति? अनानुपुव्विदव्वेहिं समोयरंति? अवत्तव्वयदव्वेहिं समोयरंति? नेगम-ववहाराणं आनुपुव्वि-दव्वाइं आनुपुव्विदव्वेहिं समोयरंति, नो अनानुपुव्विदव्वेहिं समो-यरंति, नो अवत्तव्वयदव्वेहिं समोयरंति। नेगम-ववहाराणं अनानुपुव्विदव्वाइं कहिं समोयरंति– किं आनुपुव्विदव्वेहिं समोयरंति? अनानुपुव्विदव्वेहिं समोयरंति? अवत्तव्वयदव्वेहिं समोयरंति? नेगम-ववहाराणं अनानुपुव्विदव्वाइं नो आनुपुव्विदव्वेहिं समोयरंति, अनानुपुव्विदव्वेहिं समोयरंति, नो अवत्तव्वयदव्वेहिं

Translated Sutra: समवतार क्या है ? नैगम – व्यवहारनयसम्मत आनुपूर्वीद्रव्य कहाँ समवतरित होते हैं ? क्या आनुपूर्वीद्रव्यों में समव – तरित होते हैं, अनानुपूर्वीद्रव्यों में अथवा अवक्तव्यकद्रव्यों में समवतरित होते हैं ? आयुष्मन्‌ ! नैगम – व्यवहारनयसम्मत्‌ आनु – पूर्वीद्रव्य केवल आनुपूर्वीद्रव्यों में समवतरित होते हैं। नैगम
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 90 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं अनुगमे? अनुगमे नवविहे पन्नत्ते, तं जहा–

Translated Sutra: अनुगम क्या है ? नौ प्रकार का है, सत्पदप्ररूपणा, द्रव्यप्रमाण, क्षेत्र, स्पर्शना, काल, अन्तर, भाग, भाव और अल्पबहुत्व। सूत्र – ९०, ९१
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 92 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नेगम-ववहाराणं आनुपुव्विदव्वाइं किं अत्थि? नत्थि? नियमा अत्थि। नेगम-ववहाराणं अनानुपुव्विदव्वाइं किं अत्थि? नत्थि? नियमा अत्थि। नेगम-ववहाराणं अवत्तव्वयदव्वाइं किं अत्थि? नत्थि? नियमा अत्थि।

Translated Sutra: नैगम – व्यवहारनय की अपेक्षा आनुपूर्वी द्रव्य हैं अथवा नहीं हैं ? अवश्य हैं। ईसी प्रकार अनानुपूर्वी और अवक्तव्यक – द्रव्य को भी जानना।
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 93 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नेगम-ववहाराणं आनुपुव्विदव्वाइं किं संखेज्जाइं? असंखेज्जाइं? अनंताइं? नो संखेज्जाइं नो असंखेज्जाइं, अनंताइं। एवं दोन्नि वि।

Translated Sutra: नैगम – व्यवहारनय की अपेक्षा आनुपूर्वी द्रव्य क्या संख्यात हैं, असंख्यात हैं, अथवा अनन्त हैं ? वे अनन्त ही हैं। इसी प्रकार शेष दोनों भी अनन्त हैं।
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 94 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नेगम-ववहाराणं आनुपुव्विदव्वाइं लोगस्स कति भागे होज्जा– किं संखेज्जइभागे होज्जा? असंखेज्जइभागे होज्जा? संखेज्जेसु भागेसु होज्जा? असंखेज्जेसु भागेसु होज्जा? सव्वलोए होज्जा? एगदव्वं पडुच्च लोगस्स संखेज्जइभागे वा होज्जा, असंखेज्जइभागे वा होज्जा, संखेज्जेसु भागेसु वा होज्जा, असंखेज्जेसु भागेसु वा होज्जा, सव्वलोए वा होज्जा। नाणादव्वाइं पडुच्च नियमा सव्वलोए होज्जा। नेगम-ववहाराणं अनानुपुव्विदव्वाइं लोगस्स कति भागे होज्जा–किं संखेज्जइभागे होज्जा? असंखेज्जइभागे होज्जा? संखेज्जेसु भागेसु होज्जा? असंखेज्जेसु भागेसु होज्जा? सव्वलोए होज्जा? एगदव्वं पडुच्च

Translated Sutra: नैगम – व्यवहारनयसंमत आनुपूर्वी द्रव्य (क्षेत्र के) कितने भाग में अवगाढ हैं ? क्या लोक के संख्यातवें भाग में अवगाढ हैं ? असंख्यातवें भाग में अवगाढ हैं ? क्या संख्यात भागों में अवगाढ हैं ? असंख्यात भागों में अवगाढ हैं ? अथवा समस्त लोक में अवगाढ हैं ? किसी एक आनुपूर्वीद्रव्य की अपेक्षा कोई लोक के संख्यातवें भाग में,
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 95 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नेगम-ववहाराणं आनुपुव्विदव्वाइं लोगस्स कति भागं फुसंति–किं संखेज्जइभागं फुसंति? असंखेज्जइभागं फुसंति? संखेज्जे भागे फुसंति? असंखेज्जे भागे फुसंति? सव्वलोगं फुसंति? एगदव्वं पडुच्च लोगस्स संखेज्जइभागं वा फुसंति, असंखेज्जइभागं वा फुसंति, संखेज्जे भागे वा फुसंति, असंखेज्जे भागे वा फुसंति, सव्वलोगं वा फुसंति। नाणादव्वाइं पडुच्च नियमा सव्वलोगं फुसंति। नेगम-ववहाराणं अनानुपुव्विदव्वाणं पुच्छा। एगदव्वं पडुच्च नो संखेज्जइभागं फुसंति, असंखेज्जइभागं फुसंति नो संखेज्जे भागे फुसंति, नो असंखेज्जे भागे फुसंति, नो सव्वलोगं फुसंति। नाणादव्वाइं पडुच्च नियमा सव्वलोगं

Translated Sutra: नैगम – व्यवहारनयसंमत आनुपूर्वीद्रव्य क्या लोक के संख्यातवें भाग का अथवा असंख्यातवें भाग का या संख्यात भागों का अथवा असंख्यात भागों का अथवा समस्त लोक का स्पर्श करते हैं ? नैगम – व्यवहारनय की अपेक्षा एक आनुपूर्वीद्रव्य लोक के संख्यातवें भाग का यावत्‌ अथवा सर्वलोक का स्पर्श करता है, किन्तु अनेक (आनुपूर्वी)
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 96 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नेगम-ववहाराणं आनुपुव्विदव्वाइं कालओ केवच्चिरं होंति? एगदव्वं पडुच्च जहन्नेणं एगं समयं, उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं। नाणादव्वाइं पडुच्च नियमा सव्वद्धा। एवं दोन्नि वि। अनानुपुव्वि-दव्वाइं अवत्तव्वगदव्वाइं च एवं चेव भाणिअव्वाइं।

Translated Sutra: नैगम – व्यवहारनयसंमत आनुपूर्वीद्रव्य काल की अपेक्षा कितने काल तक रहते हैं ? एक आनुपूर्वीद्रव्य जघन्य एक समय एवं उत्कृष्ट असंख्यात काल तक उसी स्वरूप में रहता है और विविध आनुपूर्वीद्रव्यों की अपेक्षा नियमतः स्थिति सार्वकालिक है। इसी प्रकार अनानुपूर्वी और अवक्तव्य द्रव्यों की स्थिति भी जानना।
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 97 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नेगम-ववहाराणं आनुपुव्विदव्वाणं अंतरं कालओ केवच्चिरं होइ? एगदव्वं पडुच्च जहन्नेणं एगं समयं, उक्कोसेणं अनंतं कालं। नाणादव्वाइं पडुच्च नत्थि अंतरं। नेगम-ववहाराणं अनानुपुव्विदव्वाणं अंतरं कालओ केवच्चिरं होइ? एगदव्वं पडुच्च जहन्नेणं एगं समयं, उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं। नानादव्वाइं पडुच्च नत्थि अंतरं। नेगम-ववहाराणं अवत्तव्वगदव्वाणं अंतरं कालओ केवच्चिरं होइ? एगदव्वं पडुच्च जहन्नेणं एगं समयं, उक्कोसेणं अनंतं कालं। नाणादव्वाइं पडुच्च नत्थि अंतरं।

Translated Sutra: नैगम – व्यवहारनयसम्मत आनुपूर्वीद्रव्यों का कालापेक्षया अंतर कितना होता है ? एक आनुपूर्वीद्रव्य की अपेक्षा जघन्य एक समय और उत्कृष्ट अनन्त काल का, किन्तु अनेक द्रव्यों की अपेक्षा विरहकाल नहीं है। नैगम – व्यवहारनयसंमत अनानु – पूर्वीद्रव्यों का काल की अपेक्षा अंतर कितना होता है ? एक अनानुपूर्वीद्रव्य की अपेक्षा
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 98 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नेगम-ववहाराणं आनुपुव्विदव्वाइं सेसदव्वाणं कइ भागे होज्जा–किं संखेज्जइभागे होज्जा? असंखेज्जइभागे होज्जा? संखेज्जेसु भागेसु होज्जा? असंखेज्जेसु भागेसु होज्जा? नो संखेज्जइभागे होज्जा, नो असंखेज्जइभागे होज्जा, नो संखेज्जेसु भागेसु होज्जा, नियमा असंखेज्जेसु भागेसु होज्जा। नेगम-ववहाराणं अनानुपुव्विदव्वाइं सेसदव्वाणं कइ भागे होज्जा– किं संखेज्जइभागे होज्जा? असंखेज्जइभागे होज्जा? संखेज्जेसु भागेसु होज्जा? असंखेज्जेसु भागेसु होज्जा? नो संखेज्जइभागे होज्जा, असंखेज्जइभागे होज्जा, नो संखेज्जेसु भागेसु होज्जा, नो असंखेज्जेसु भागेसु होज्जा। एवं अवत्तव्वगदव्वाणि

Translated Sutra: भगवन्‌ ! नैगम – व्यवहारनयसंमत समस्त आनुपूर्वीद्रव्य शेष द्रव्यों के कितनेवें भाग हैं ? क्या संख्यात भाग हैं ? असंख्यात भाग हैं अथवा संख्यात भागों या असंख्यात भागों रूप हैं ? आनुपूर्वीद्रव्य शेष द्रव्यों के नियमतः असंख्यात भागों रूप हैं। नैगम – व्यवहारनयसंमत अनानुपूर्वीद्रव्य शेष द्रव्यों के कितनेवें भाग
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 99 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नेगम-ववहाराणं आनुपुव्विदव्वाइं कयरम्मि भावे होज्जा–किं उदइए भावे होज्जा? उवसमिए भावे होज्जा? खइए भावे होज्जा? खओवसमिए भावे होज्जा? पारिणामिए भावे होज्जा? सन्निवाइए भावे होज्जा? नियमा साइपारिणामिए भावे होज्जा। एवं दोन्नि वि।

Translated Sutra: नैगम – व्यवहारनयसम्मत आनुपूर्वीद्रव्य किस भाव में वर्तते हैं ? क्या औदयिक भाव में, औपशमिक भाव से, क्षायिक भाव में, क्षयोपशमिक भाव में, पारिणामिक भाव में अथवा सान्निपातिक भाव में वर्तते हैं ? समस्त आनुपूर्वीद्रव्य सादि पारिणामिक भाव में होते हैं। अनानुपूर्वीद्रव्यों और अवक्तव्यद्रव्यों में भी सादिपारिणामिक
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 100 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] एएसि णं नेगम-ववहाराणं आनुपुव्विदव्वाणं अनानुपुव्विदव्वाणं अवत्तव्वगदव्वाण य दव्वट्ठयाए पएसट्ठयाए दव्वट्ठपएसट्ठयाए कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा? बहुया वा? तुल्ला वा? विसेसाहिया वा? सव्वत्थोवाइं नेगम-ववहाराणं अवत्तव्वगदव्वाइं दव्वट्ठयाए, अनानुपुव्विदव्वाइं दव्वट्ठयाए विसेसाहियाइं, आनुपुव्विदव्वाइं दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणाइं। पएसट्ठयाए–सव्वत्थोवाइं नेगम-ववहाराणं अनानुपुव्विदव्वाइं अपएसट्ठयाए, अवत्तव्वग-दव्वाइं पएसट्ठयाए विसेसाहियाइं, आनुपुव्विदव्वाइं पएसट्ठयाए अनंतगुणाइं। दव्वट्ठ-पएसट्ठयाए–सव्वत्थोवाइं नेगम-ववहाराणं अवत्तव्वगदव्वाइं दव्वट्ठयाए,

Translated Sutra: नैगम – व्यवहारनयसंमत आनुपूर्वीद्रव्यों, अनानुपूर्वीद्रव्यों और अवक्तव्यद्रव्यों में से द्रव्य, प्रदेश और द्रव्यप्रदेश की अपेक्षा कौन द्रव्य किन द्रव्यों की अपेक्षा अल्प, अधिक, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? गौतम ! द्रव्य की अपेक्षा नैगम – व्यवहार नयसम्मत अवक्तव्यद्रव्य सबसे स्तोक हैं, अवक्तव्यद्रव्यों की
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 101 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं संगहस्स अनोवनिहिया दव्वानुपुव्वी? संगहस्स अनोवनिहिया दव्वानुपुव्वी पंचविहा पन्नत्ता, तं जहा–१. अट्ठपयपरूवणया २. भंगसमुक्कित्तणया ३. भंगोवदंसणया ४. समोयारे ५. अनुगमे।

Translated Sutra: संग्रहनयसम्मत अनौपनिधिकी द्रव्यानुपूर्वी क्या है ? वह पाँच प्रकार की है। – अर्थपदप्ररूपणता, भंगसमुत्कीर्तनता, भंगोपदर्शनता, समवतार, अनुगम।
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 105 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं संगहस्स समोयारे? समोयारे–संगहस्स आनुपुव्विदव्वाइं कहिं समोयरंति? किं आनुपुव्विदव्वेहिं समोयरंति? अनानुपुव्विदव्वेहिं समोयरंति? अवत्तव्वगदव्वेहिं समोयरंति? संगहस्स आनुपुव्विदव्वाइं आनुपुव्विदव्वेहिं समोयरंति, नो अनानुपुव्विदव्वेहिं समोयरंति, नो अवत्तव्वगदव्वेहिं समोयरंति। एवं दोन्नि वि सट्ठाणे समोयरंति। से तं समोयारे।

Translated Sutra: भगवन्‌ ! समवतार क्या है ? क्या संग्रहनयसम्मत आनुपूर्वीद्रव्य आनुपूर्वीद्रव्यों में समाविष्ट होते हैं ? अथवा अनानु – पूर्वीद्रव्यों में समाविष्ट होते हैं ? या अवक्तव्यकद्रव्यों में समाविष्ट होते हैं ? संग्रहनयसम्मत आनुपूर्वीद्रव्य, आनुपूर्वीद्रव्यों में ही समवतरित होते हैं। इसी प्रकार अनानुपूर्वीद्रव्य
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 106 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं अनुगमे? अनुगमे अट्ठविहे पन्नत्ते, तं जहा–

Translated Sutra: संग्रहनयसम्मत अनुगम क्या है ? वह आठ प्रकार का है। सत्पदप्ररूपणा, द्रव्यप्रमाण, क्षेत्र, स्पर्शना, काल, अन्तर, भाग और भाव। इसमें अल्पबहुत्व नहीं होता है। सूत्र – १०६, १०७
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 108 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] संगहस्स आनुपुव्विदव्वाइं किं अत्थि? नत्थि? नियमा अत्थि। एवं दोन्नि वि। संगहस्स आनुपुव्विदव्वाइं किं संखेज्जाइं? असंखेज्जाइं? अनंताइं? नो संखेज्जाइं नो असंखेज्जाइं नो अनंताइं, नियमा एगो रासी। एवं दोन्नि वि। संगहस्स आनुपुव्विदव्वाइं लोगस्स कति भागे होज्जा–किं संखेज्जइभागे होज्जा? असंखे-ज्जइभागे होज्जा? संखेज्जेसु भागेसु होज्जा? असंखेज्जेसु भागेसु होज्जा? सव्वलोए होज्जा? नो संखेज्जइभागे होज्जा, नो असंखेज्जइभागे होज्जा, नो संखेज्जेसु भागेसु होज्जा, नो असंखेज्जेसु भागेसु होज्जा, नियमा सव्वलोए होज्जा। एवं दोन्नि वि। संगहस्स आनुपुव्विदव्वाइं लोगस्स कति

Translated Sutra: संग्रहनयसम्मत आनुपूर्वीद्रव्य हैं अथवा नहीं हैं ? नियमतः हैं। इसी प्रकार दोनों द्रव्यों के लिये भी समझना। संग्रह – नयसम्मत आनुपूर्वीद्रव्य संख्यात हैं, असंख्यात हैं, या अनन्त हैं ? वह नियमतः एक राशि रूप हैं। इसी प्रकार दोनों द्रव्यों के लिये भी जानना। संग्रहनयसम्मत आनुपूर्वीद्रव्य लोक के कितने भाग में
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 109 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं ओवनिहिया दव्वानुपुव्वी? ओवनिहिया दव्वानुपुव्वी तिविहा पन्नत्ता, तं जहा–पुव्वानुपुव्वी पच्छानुपुव्वी अनानुपुव्वी।

Translated Sutra: औपनिधिकी द्रव्यानुपूर्वी क्या है ? उसके तीन प्रकार कहे हैं, पूर्वानुपूर्वी, पश्चानुपूर्वी और अनानुपूर्वी।
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 111 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] अहवा ओवनिहिया दव्वानुपुव्वी तिविहा पन्नत्ता, तं जहा– पुव्वानुपुव्वी पच्छानुपुव्वी अनानुपुव्वी। से किं तं पुव्वानुपुव्वी? पुव्वानुपुव्वी–परमाणुपोग्गले दुपएसिए तिपएसिए जाव दसपएसिए संखेज्जपएसिए असंखेज्जपएसिए अनंतपएसिए। से तं पुव्वानुपुव्वी। से किं तं पच्छानुपुव्वी? पच्छानुपुव्वी–अनंतपएसिए असंखेज्जपएसिए संखेज्जपएसिए दसपएसिए जाव तिपएसिए दुपएसिए परमाणुपोग्गले। से तं पच्छानुपुव्वी। से किं तं अनानुपुव्वी? अनानुपुव्वी–एयाए चेव एगाइयाए एगुत्तरियाए अनंतगच्छगयाए सेढीए अन्नमन्नब्भासो दुरूवूणो। से तं अनानुपुव्वी। से तं ओवनिहिया दव्वानुपुव्वी। से

Translated Sutra: अथवा औपनिधिकी द्रव्यानुपूर्वी तीन प्रकार की है। पूर्वानुपूर्वी, पश्चानुपूर्वी और अनानुपूर्वी। पूर्वानुपूर्वी क्या है ? वह इस प्रकार है – परमाणुपुद्‌गल, द्विप्रदेशिक स्कन्ध, त्रिप्रदेशिक स्कन्ध, यावत्‌ दशप्रदेशिक स्कन्ध, संख्यातप्रदेशिक स्कन्ध, असंख्यातप्रदेशिक स्कन्ध, अनन्तप्रदेशिक स्कन्ध रूप क्रमात्मक
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 114 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं नेगम-ववहाराणं अनोवनिहिया खेत्तानुपुव्वी? नेगम-ववहाराणं अनोवनिहिया खेत्ता-नुपुव्वी पंचविहा पन्नत्ता, तं जहा–१. अट्ठपयपरूवणया २. भंगसमुक्कित्तणया ३. भंगोवदंसणया ४. समोयारे ५. अनुगमे। से किं तं नेगम-ववहाराणं अट्ठपयपरूवणया? नेगम-ववहाराणं अट्ठपयपरूवणया–तिपएसोगाढे आनुपुव्वी चउपएसोगाढे आनुपुव्वी जाव दसपएसोगाढे आनुपुव्वी संखेज्जपएसोगाढे आनुपुव्वी असंखेज्जपएसोगाढे आनुपुव्वी। एगपएसो-गाढे अनानुपुव्वी। दुपएसोगाढे अवत्तव्वए। तिपएसोगाढा आनुपुव्वीओ चउपएसोगाढा आनुपुव्वीओ जाव दसपएसोगाढा आनु पुव्वीओ संखेज्जपएसोगाढा आनुपुव्वीओ असंखेज्जपएसोगाढा

Translated Sutra: नैगम – व्यवहारनयसम्मत अनौपनिधिकी क्षेत्रानुपूर्वी क्या है ? इस के पाँच प्रकार हैं। – अर्थपदप्ररूपणता, भंगसमुत्कीर्तनता, भंगोपदर्शनता, समवतार, अनुगम। नैगम – व्यवहारनयसम्मत अर्थपदप्ररूपणता क्या है ? तीन आकाशप्रदेशों में अवगाढ द्रव्यस्कन्ध आनुपूर्वी है यावत्‌ दस प्रदेशावगाढ द्रव्यस्कन्ध आनुपूर्वी है
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 115 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] १. संतपयपरूवणया, २. दव्वपमाणं च ३. खेत्त ४. फुसणा य । ५. कालो य ६. अंतरं ७. भाग ८. भाव० ९. अप्पाबहुं चेव ॥

Translated Sutra: सत्पदप्ररूपणता, द्रव्यप्रमाण, क्षेत्र, स्पर्शना, काल, अंतर, भाग, भाव और अल्पबहुत्व।
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 116 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] नेगम-ववहाराणं आनुपुव्विदव्वाइं किं अत्थि? नत्थि? नियमा अत्थि। एवं दोन्नि वि। नेगम-ववहाराणं आनुपुव्विदव्वाइं किं संखेज्जाइं? असंखेज्जाइं? अनंताइं? नो संखेज्जाइं, असंखेज्जाइं, नो अनंताइं। एवं दोन्नि वि। नेगम-ववहाराणं आनुपुव्विदव्वाइं लोगस्स कति भागे होज्जा–किं संखेज्जइभागे होज्जा? असंखेज्जइभागे होज्जा? संखेज्जेसु भागेसु होज्जा? असंखेज्जेसु भागेसु होज्जा? सव्वलोए होज्जा? एगदव्वं पडुच्च लोगस्स संखेज्जइभागे वा होज्जा, असंखेज्जइभागे वा होज्जा, संखेज्जेसु भागेसु वा होज्जा, असंखेज्जेसु भागेसु वा होज्जा, देसूणे लोए वा होज्जा। नानादव्वाइं पडुच्च नियमा सव्वलोए

Translated Sutra: सत्पदप्ररूपणता क्या है ? नैगम – व्यवहारनयसंमत क्षेत्रानुपूर्वीद्रव्य है या नहीं ? नियमतः हैं। इसी प्रकार अनानुपूर्वी और अवक्तव्यक द्रव्यों के लिए भी समझना। नैगम – व्यवहारनयसम्मत आनुपूर्वी द्रव्य क्या संख्यात हैं, असंख्यात हैं, अथवा अनन्त हैं ? वह नियमतः असंख्यात हैं। इसी प्रकार दोनों द्रव्यों के लिए भी
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 117 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं संगहस्स अनोवनिहिया खेत्तानुपुव्वी? पंचविहा, अट्ठपयपरूवणया भंगसमुक्कित्त-णया भंगोवदंसणया समोतारे अनुगमे से किं तं संगहस्स अट्ठपयपरूवणया तिपएसोगाढेआनुपुव्वी चउप्पएसोगाढेआनुपुव्वी जाव दसपएसोगाढे आनुपुव्वी संखिज्जपएसोगाढेआनुपुव्वी असंखिज्ज पएसोगाढे आनुपुव्वी एगपएसोगाढे अनानुपुव्वी दुपएसोगाढेअवत्तव्वए से तं संगहस्स अट्ठपय-परूवणया एयाए णं सगहस्स अट्ठपयपरूवणयाए किं पओअणं एयाए णं संगहस्स अट्ठपय परूवणयाए संगहस्स भंगसमुक्कित्तणया कज्जति से किं तं संगहस्स भंगसमुक्कित्तणया अत्थि आनुपुव्वि अत्थि अनानुपुव्वी य अनानुपुव्वी य एवं जहा दव्वानुपुव्वी

Translated Sutra: संग्रहनयसंमत अनौपनिधिकी क्षेत्रानुपूर्वी क्या है ? संग्रहनयसंमत अनौपनिधिकी द्रव्यानुपूर्वी की तरह ही यहाँ द्रव्यानुपूर्वी अंतर्गत तीनों सूत्रों का अर्थ समझ लेना। सूत्र – ११७–११९
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 121 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] जंबुद्दीवे लवणे, धायइ-कालोय-पुक्खरे वरुणे । खीर-घय-खोय-नंदी अरुणवरे कुंडले रुयगे ॥

Translated Sutra: जम्बूद्वीप, लवणसमुद्र, धातकीखंडद्वीप, कालोदधिसमुद्र, पुष्करद्वीप, (पुष्करोद) समुद्र, वरुणद्वीप, वरुणोदसमुद्र, क्षीरद्वीप, क्षीरोदसमुद्र, घृतद्वीप, घृतोदसमुद्र, इक्षुवरद्वीप, इक्षुवरसमुद्र, नन्दीद्वीप, नन्दीसमुद्र, अरुणवरद्वीप, अरुणवरसमुद्र, कुण्डलद्वीप, कुण्डलसमुद्र, रुचकद्वीप, रुचकसमुद्र। जम्बूद्वीप
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 124 Gatha Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [गाथा] कुरु-मंदर-आवासा, कूडा नक्खत्त-चंद-सूरा य । देवे नागे जक्खे, भूए य सयंभुरमणे य ॥

Translated Sutra: देखो सूत्र १२१
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 129 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं नेगम-ववहाराणं अट्ठपयपरूवणया? नेगम-ववहाराणं अट्ठपयपरूवणया–तिसमय-ट्ठिईए आनुपुव्वी जाव दससमयट्ठिईए आनुपुव्वी संखेज्जसमयट्ठिईए आनुपुव्वी असंखेज्जसमय-ट्ठिईए आनुपुव्वी। एगसमयट्ठिईए अनानुपुव्वी। दुसमयट्ठिईए अनानुपुव्वी। तिसमयट्ठिईयाओ आनुपुव्वीओ जाव दससमयट्ठिईयाओ आनुपुव्वीओ संखेज्जसमय-ट्ठिईयाओ आनुपुव्वीओ असंखेज्जसमयट्ठिईयाओ आनुपुव्वीओ। एगसमयट्ठिईयाओ अनानुपुव्वीओ दुसमयट्ठिईयाओ अवत्तव्वगाइं। से तं नेगम-ववहाराणं अट्ठपयपरूवणया। एयाए णं नेगम-ववहाराणं अट्ठपयपरूवणयाए किं पओयणं? एयाए णं नेगम-ववहाराणं अट्ठपयपरूवणयाए भंगसमुक्कित्तणया

Translated Sutra: नैगम – व्यवहारनयसंमत अर्थपदप्ररूपणता क्या है ? वह इस प्रकार है – तीन समय की स्थिति वाला द्रव्य आनुपूर्वी है यावत्‌ दस समय, संख्यात समय, असंख्यात समय की स्थितिवाला द्रव्य आनुपूर्वी है। एक समय की स्थिति वाला द्रव्य अनानुपूर्वी है। दो समय की स्थिति वाला द्रव्य अवक्तव्यक है। तीन समय की स्थिति वाले अनेक द्रव्य
Anuyogdwar अनुयोगद्वारासूत्र Ardha-Magadhi

अनुयोगद्वारासूत्र

Hindi 130 Sutra Chulika-02 View Detail
Mool Sutra: [सूत्र] से किं तं नेगम-ववहाराणं भंगसमुक्कित्तणया? नेगम-ववहाराणं भंगसमुक्कित्तणया–१. अत्थि आनुपुव्वी २. अत्थि अनानुपुव्वी ३. अत्थि अवत्तव्वए। एवं दव्वानुपुव्विगमेणं कालानुपुव्वीए वि ते चेव छव्वीसं भंगा भाणियव्वा जाव। से तं नेगम-ववहाराणं भंगसमुक्कित्तणया। एयाए णं नेगम-ववहाराणं भंगसमुक्कित्तणयाए किं पओयणं? एयाए णं नेगम-ववहाराणं भंगसमुक्कित्तणयाए भंगोवदंसणया कज्जइ।

Translated Sutra: नैगम – व्यवहारनयसंमत भंगसमुत्कीर्तनता क्या है ? आनुपूर्वी है, अनानुपूर्वी है, अवक्तव्यक है, इस प्रकार द्रव्यानु – पूर्वीवत्‌ कालानुपूर्वी के भी २६ भंग जानना। इस नैगम – व्यवहारनयसंमत यावत्‌ (भंगसमुत्कीर्तनता का) क्या प्रयोजन है ? ईनसे भंगोपदर्शनता की जाती है।
Showing 201 to 250 of 6399 Results